जानिए भारत में कब शुरू हुई थी पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन, इन्होंने दिखाई थी ट्रेन को हरी झंडी इतना होता था किराया
ट्रेन लोगों के लिए सबसे अच्छा साधन है। इसमें सफर कर लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर चले जाते है। भारतीय रेलवे परिवहन में एक प्रमुख भूमिका निभाता है। इसके लिए रेलवे में अधिकतर लोग यात्रा करना पसंद करते हैं, क्योंकि सामान को भी इसके माध्यम से दूसरे देश भी ले जा सकते हैं। इसके साथ ही रेलवे में बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार भी मिलते हैं। रेलवे स्टेशन पर कई लोग सामान बेचकर अच्छा खासा मुनाफा भी कमाते हैं। इसके साथ ही रेलवे में कई वैकेंसी निकलती है जिसमें युवा अपना करियर बनाता है। भारत की आर्थिक जीवन रेखा भी ट्रेन को कहा जाता है, क्योंकि इसमें प्रतिदिन कई यात्री सफर करते हैं, ज्यादातर लोगों के पास ट्रेनों में यात्रा करने का अनुभव होगा। आइए जानते हैं कि भारत में पहली इलेक्ट्रॉनिक ट्रेन कब और कहां से शुरू हुई थी।
1925 में गवर्नर लेस्ली विल्सन ने दिखाई थी हरी झंडी
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत में पहले ट्रेनें कोयले से चलाई जाती थी, लेकिन धीरे-धीरे ट्रेनों का विकास होता चला गया वैसे ट्रेन की शुरुआत तो अंग्रेजों के जमाने से हुई थी, लेकिन सवाल है कि भारत में इलेक्ट्रॉनिक ट्रेन कब शुरू हुई थी तो इसकी शुरुआत फरवरी 1925 को छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस मुंबई और कुर्ला हार्बर के बीच चलाई गई थी। इस ट्रेन को चलाने के लिए 1500 वोल्ट का करंट दिया जाता था। वहीं इस ट्रेन की शुरुआत के लिए तत्कालीन बॉम्बे गवर्नर लेस्ली विल्सन इसे हरी झंडी दिखाई थी।
15 नवंबर 1931 को मद्रास बीच और दक्षिण रेलवे के तांबरम के बीच 1500 वोल्ट डीसी ट्रेक्शन शुरू किया गया था। इसके पहले कोलाबा और बोरीवली के बीच पश्चिम रेलवे के उपनगरीय खंड पर 1928 को भी 1500 बोल्ट डीसी ट्रैक्शन शुरू किया था। इस प्रकार देश की आजादी से पहले भारत में 388 किलोमीटर डीसी विद्युतीकरण था। वहीं सेंट्रल रेलवे के महाप्रबंधक अनिल कुमार लोहाटी की माने तो सेंट्रल रेलवे अपने यात्रियों को चार लाइनों पर सर्वोत्तम संभव और आरामदायक यात्रा प्रदान करना जारी रखेगा।
2023 तक सभी ट्रेनों को बनायेंगे विद्युतिकरण
देश के आजाद होने के बाद पहली पंचवर्षीय योजना की अवधि के दौरान 3000 वोल्ट डीसी पर पूर्व रेलवे के हावड़ा वर्तमान खंड के विद्युतीकरण का कार्य 1958 में पूरा हुआ था। 1957 में एसएनसीएफ के साथ प्रारंभिक चरणों में 25 केवी एसी विद्युतीकरण प्रणाली को मानक रूप में अपनाने का निर्णय लिया था। वहीं 1960 में दक्षिण पूर्व रेलवे का राज खरसावां-डोंगोपोसी था। इसी तरह रेलवे का विकास होता चला गया और दिसंबर 2023 तक भारतीय रेलवे के सभी बिजी मार्गों को विद्युतिकरण करने की योजना बनाई गई है।