इस बेटी के जज्बे को सलाम, दिव्यांगता और गरीबी आई आगे फिर भी नहीं मानी हार, पहले ही प्रयास में बनी आईएएस
इस समय कई युवा सरकारी नौकरी का सपना देख रहे हैं ।बचपन से ही कुछ युवा आईएएस अधिकारी बनने का सपना देख लेते हैं। इसके साथ ही दसवीं के बाद से यूपीएससी एग्जाम की तैयारी भी शुरू कर देते हैं, लेकिन इसकी बुलंदियों को छूना हर किसी के बस में नहीं होता है। यूपीएससी परीक्षा को पास करने के लिए कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है ।इसके अलावा खुद को किताबों में झोंकना पड़ता है तब कहीं जाकर इसमें सफलता के द्वार खुलते हैं, लेकिन कहते हैं ना अगर हौंसलो में उड़ान हो तो हर समस्या छोटी नजर आती है। ऐसे में हम आपको यूपीएससी क्लीयर करने वाली एक प्रतिभाशाली बच्चे के बारे में बताने जा रहे है।
अपने बुलंद हौंसले से उम्मुल ने जीती जंग
दरअसल अभी तक हमने हमारे आर्टिकल के माध्यम से कई यूपीएससी क्लियर करने वाले उम्मीदवारों की कहानी सुनाई है, लेकिन अब हम सभी से हटकर एक ऐसी लड़की की कहानी बताने जा रहे हैं। जिनका पूरा बचपन गरीबी में बीता है। मां छोटी उम्र में दुनिया छोड़ कर चली गई, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने संघर्ष कर इस सफलता को हासिल की है। हौंसले बुलंद हो तो क्या कुछ हासिल नहीं किया जा सकता है। अगर हौंसलो में उड़ान हो तो हर समस्या छोटी नजर आती है। ऐसे में अब हम जिसके बारे में बात कर रहे हैं वहां उम्मूल खैर है।
गरीब परिवार में पली बढ़ी है उम्मुल
उम्मूल खैर की कहानी काफी दिलचस्प है ।झुग्गी में रहकर उन्होंने अपना जीवन बिताया है ।उनका बचपन गरीबी में बीता है उनकी मां बचपन में दुनिया छोड़ कर चली गई। इसके बावजूद उन्होंने आईएएस अधिकारी बनकर अपने आप को सफल बनाया है। उनका परिवार दिल्ली के निजामुद्दीन में झुग्गी झोपड़ियों में रहा करता था। उनके पिताजी मूंगफली बेच कर परिवार चलाते थे। बचपन में बीमारी के चलते उन मूल की हड्डियां कमजोर हो गई थी। इतनी परेशानियों के बावजूद भी उन्होंने अपने लक्ष्य को हासिल कर लिया है।
यूपीएससी में मिली 420 वी रैंक
यूपीएससी की सफलता पाने के लिए उन्होंने काफी मेहनत की तब उन्हें 2016 की यूपीएससी परीक्षा में 420 स्थान मिला था। 2001 में जब झुग्गियों को हटाया गया तो उनका परिवार त्रिलोकपुरी में चला गया। इस दौरान उम्मुल की मां का देहांत हो गया था। मां के चले जाने के बाद उम्मुल की जिंदगी पूरी तरह से बदल गई थी। इसके बाद पिताजी ने दूसरी शादी कर ली। ऐसे में उम्मूल सौतेली मां के पास ज्यादा नहीं रही क्योंकि वहां उन्हें पसंद नहीं आई थी। ऐसे में और उन्होंने घर छोड़ दिया और एक किराए का मकान लेकर रहने लगी।
12वीं में उम्मुल ने 90 अंक किए हासिल
किराए के मकान में रहकर अनमोल ने यूपीएससी की तैयारी की शुरुआती शिक्षा की बात करें तो वहां शुरू से ही प्राथमिक शिक्षा दिव्यांग स्कूल में पढ़ी है। एक ट्रस्ट की सहायता से शिक्षा हासिल की है ।आठवीं की परीक्षा के दौरान उन मूल्य स्कॉलरशिप प्राप्त करने के लिए फॉर्म भरा था जिसमें वहां पास हो गई थी और उन्हें स्कॉलरशिप के दम पर एक प्राइवेट स्कूल में दाखिला मिला। वहीं 12वीं में उम्मुल ने 90 फ़ीसदी अंक हासिल किए थे और दिल्ली विश्वविद्यालय को चुना जेएनयू से ग्रेजुएशन किया। उसके बाद मास्टर और फिर एवं फील भी कंप्लीट किया। इसके बाद यूपीएससी की तैयारी की और तमाम परेशानियों के बावजूद उन्होंने ईमानदारी और मेहनत से इस परीक्षा में सफलता हासिल कर आईएएस अधिकारी बनी है।