देश में मौजूद है यह अद्भुत सरकारी स्कूल, जहां बच्चे हवाई जहाज और ट्रेन में बैठकर करते हैं पढ़ाई, देखें तस्वीरें

देश में कई सरकारी स्कूल बने हुए हैं जिनकी कई तरह की खबरें रोजाना हमें सुनने को मिलती है। अक्सर सरकारी स्कूल का नाम सुनते ही हमारे मन में कई तरह के सवाल खड़े होने के साथ ही आंखों के सामने एक तस्वीर बन जाती है। जिसमें जर्जर इमारतें, फूटे फर्श पर बैठे बच्चे, गंदगी, दूषित पानी के अलावा छत टपकते भवन में छतरी लगाकर पढ़ाई करने को मजबूर बच्चे जैसी तस्वीरें सामने आती है, लेकिन अब सरकारी स्कूल की छवि पूरी तरह से बदल चुकी है। राजस्थान के अलवर और कुछ और जिलों में सरकारी स्कूलों की तस्वीर बिल्कुल रंग बिरंगी इमारते ना सिर्फ अपनी और आकर्षित करती है, बल्कि यहां साफ-सफाई, स्वच्छ पानी, बेहतरीन शिक्षा व्यवस्था की झलकियां भी नजर आती है।

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400 से अधिक बच्चे हवाई जहाज में करते है पढ़ाई

राजस्थान के अलवर जिले के इंदरगढ़ गांव के सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में हवाई जहाज में बैठकर बच्चे पढ़ाई करते हैं ।400 से अधिक छात्रों का एक सपना भी रहा होगा। कि वहां भी कभी हवाई जहाज में बैठेंगे। ऐसे में स्कूल के कक्ष को विमान के आकार का बना दिया गया ।हवाई जहाज में बैठकर छात्र इतना रोमांचित होते हैं कि स्कूल की छुट्टी होने के बाद भी वहां घर नहीं जाना चाहते हैं और यहीं पर बैठकर पढ़ाई करते हैं।

लोगों के लिए स्कूल बना सेल्फी प्वाइंट

मीडिया के अनुसार स्कूल की प्रिंसिपल पुष्पा मीणा ने बताया यह गांव प्रमुख आकर्षण का केंद्र बन चुका है। बाहर के लोग भी विमान के सामने पहुंचकर तस्वीरें खिंचवाते है। यह गांव का सेल्फी प्वाइंट भी बन चुका है ।प्रिंसिपल मीणा की माने तो साल 2018 के शुरुआती महीने तक अलवर के 16 किलोमीटर दूर इंदरगढ़ की स्कूल की इमारत जर्जर हालत में थी लेकिन छत से टपकते पानी और बदहाल हालत को सुधारने के लिए कई तरह के काम किए गए। इस आलम को देखकर बच्चों की संख्या भी कम हो रही थी। इसी तरह स्कूल में अब काफी बदलाव आ चुका है जिससे छात्रों की संख्या में भी बढ़ोतरी हो गई है।

इंजन को पायलट नहीं प्रिंसिपल चलाते है

दरअसल अलवर के ही एक राज्य की सीनियर सेकेंडरी स्कूल रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के लिए ट्रेन तो नहीं चलती है, लेकिन यहां पढ़ाई के लिए बच्चे ट्रेन को पकड़ते हैं जिसका इंजन प्रिंसिपल शुरू करते है। इसका बड़ा मदर प्लेटफार्म है ट्रेन के डिब्बे में बैठकर बच्चे काफी रोमांचित हो जाते हैं और आनंदित होकर पढ़ाई करते हुए नजर आते हैं। स्कूल की इमारत गांव और बाहर के लोगों को काफी आकर्षित भी कर रही है। यहां पर लोग आकर सेल्फी ले रहे उनके लिए यह एक तरह का सेल्फी प्वाइंट बन चुका है।

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दरअसल साल 2018 की बात करें तो जिला सर्व शिक्षा अभियान के जूनियर सीनियर राजेश लवानिया ने केरल के एक सरकारी स्कूल को रेल कोच की तरह रंगा हुआ देखा ।उनके मन में भी राजस्थान के अलवर के सरकारी स्कूलों की तस्वीर को बदलने का प्लान आया ऐसे में एसएसए एक सरकारी विभाग है। जिसका उद्देश्य से 14 वर्ष की आयु वाले सभी बच्चों को मुक्त प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करता है। साथ ही स्कूलों के रखरखाव और निर्माण के लिए भी धन उपलब्ध करवाता है स्कूलों की इमारते सुविधाओं और कक्षाओं के अनूठी डिजाइन देने के लिए संगठनों की मदद से विभाग ऐसे सैकड़ों सरकारी स्कूलों की तस्वीरें बदलने में लगा हुआ है।