काजू की खेती से इस शख्स ने बदली गांव की किस्मत, अब खूब हो रही कमाई, गरीब और असहाय लोगों को मिला सहारा

आधुनिक दौर में खेती करने का तरीका बदल चुका है। खेती में अब तकनीकी चीजों का इस्तेमाल होने लगा है। जिसकी वजह से अच्छी पैदावार हो रही है। वहीं लोग अब खेती को लाभ का धंधा बना रहे हैं। जिससे आर्थिक स्थिति को बदलने के लिए स्मार्ट वर्क भी कर रहे हैं। ऐसे में अब युवा पीढ़ी के लोग खेती करने में काफी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। एक समय ऐसा था यह लोग गणित और विज्ञान में खेती के बारे में पढ़ते थे। आज वहीं युवा अपने थ्योरी कल को प्रैक्टिकल में बदलने के लिए कृषि विज्ञान भी पढ़ रहे हैं और कृषि क्षेत्र में खूब उन्नति कर रहे हैं।

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गांवों के लोगों को आर्थिक तंगी से उभारा

इस समय लोग आधुनिक खेती करने के साथ ही फल और सब्जी उगा रहे हैं। जिससे अच्छा खासा मुनाफा कमाने में लगे हैं। इसके अलावा कई लोग काजू की खेती भी कर रहे हैं। जिससे अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं। काजू जो कि शरीर के लिए बहुत जरूरी है। इसका सेवन करने से सारी बीमारियां दूर हो जाती है। अब ऐसे में एक युवा की कहानी बताने जा रहे हैं जो कि पश्चिम बंगाल के पश्चिमी मिदनापुर जिले के अंतर्गत भल्लीसोर गांव में रहते हैं। इनका नाम अमल अरी है जो कि आदिवासी किसान संघ के सदस्य भी हैं। एक समय था जब यहां के हर व्यक्ति आर्थिक तंगी से परेशान थे।

20 हैक्टियर जमीन में काजू की खेती

आमिर अली ने 14 किसानों के साथ मिलकर अपने गांव की स्थिति सुधारने के लिए काफी प्रयास किया। इसके लिए उन्होंने गांव की जलवायु और मिट्टी के हिसाब से काजू की खेती की अमल अरी ने खंड विकास अधिकारी के सामने अपनी बात रखी और गांव वालों के इस ग्राम सुधार की योजना से खंड विकास अधिकारी बहुत खुश हो गए और उन्होंने आश्वासन दिया। किसानों को कृषि विभाग के अधिकारियों से बातचीत कराई इसके बाद किसानों ने काजू की खेती शुरू की जिसमें अधिकारियों ने काफी मदद भी की। इसके बाद 20 हैक्टियर भूमि देकर इसमें बीज खाद और कीटनाशक उपलब्ध करवाए गए ।वैज्ञानिक खेती से किसानों को रूबरू कराया और किसानों की मेहनत सफल हो गई।

जानें किस तरह होती है काजू की खेती

काजू की खेती करना बहुत कठिन काम है, लेकिन अगर मेहनत की जाए तो कुछ भी आसान हो सकता है जो कि काजू की अच्छी पैदावार के लिए अनुकूल मौसम और इर मिट्टी की जरूरत होती है। इसके साथ ही ठंडी और पानी की मात्रा भी अधिक होना चाहिए। इसके साथ ही इस खेती के लिए 20 25 डिग्री सेंटीग्रेड का तापमान जरूरी है। काजू के पैदावार ने गांव वालों की जिंदगी बदल कर रख दी थी। करीब 13 से 14 मीटर तक पौधे की ऊंचाई होती है और कम से कम 6 से 7 सालों के बाद इसका प्रत्येक पौधा लगभग 8 से 10 किलो काजू देता है। हाइब्रिड किस्में से आप इससे अधिक उत्पादन कर सकते हैं।

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इस कमा रहे अब मुनाफा

किसान अमल अरी द्वारा प्रति हेक्टेयर में 832 किलोग्राम काजू की पैदावार हुई। जिसमें 9000 हजार रुपए किलो ने मुनाफा कमाया और प्रति टन 45000 के मूल्य पर बेचे गए। काजू की खेती ने भल्लीसोर के किसान की सामूहिक मेहनत ने उनके दिन बदल दिए और जिंदगी में एक नया मुकाम आ गया।