कॉलेज के समय आया मन में विचार, फिर बेकार सिगरेट से खड़ी की करोड़ों की कंपनी, अब लिम्बा बुक में नाम दर्ज
आमतौर पर देखा जाता है कि लोग सिगरेट पीते हुए नजर आते हैं। सिगरेट पीने के बाद उसे वेस्टेज समझकर डस्टबिन में डाल देते हैं, लेकिन जब उनसे इस बेकार सिगरेट के बारे में पूछा जाए कि इसका इस्तेमाल हो सकता है तो वहां कहेंगे कि अब यह पूरी तरह से खराब हो चुकी है, इसका इस्तेमाल नहीं कर सकते है, लेकिन वहां पूरी तरह से गलत है। दरअसल खराब हो चुकी सिगरेट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। कई लोग कहते हैं कि सिगरेट से हम खिलौने बना रहे हैं। नरम तकिए बना रहे हैं,लेकिन सही मायने में खराब हो चुकी सिगरेट का इस्तेमाल भी किया जा सकता है और इसका इस्तेमाल एक युवा ने किया है आइए जानते हैं।
29 साल के नमन का 250 जिलों में फैला बिजनेस
दरअसल 29 साल के नमन गुप्ता के बारे में बताने जा रहे हैं ।जिन्होंने खराब हो चुकी सिगरेट का ऐसा इस्तेमाल किया है जिसे देखने के बाद आप भी हैरान रह जाएंगे। नमन सुबह उठते हैं और 8:00 बजे घर से नोएडा के नांगल गांव के अपने कारखाने में पहुंच जाते हैं। देर शाम तक कारखाने में रहते हैं। ऐसा हफ्ते में 6 दिन करते हैं वहीं छुट्टी वाले दिन दोस्तों के साथ मजे मस्ती करते हैं। ऐसे में उन्होंने बेस्ट सिगरेट का इस्तेमाल कैसे किया जाए इसके बारे में रिसर्च किया है। साल 2018 में कुछ लाख की रकम के साथ नोएडा में उनका काम शुरू हुआ जो अब मध्य प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, यूपी, कर्नाटक समेत कई राज्यों के 250 जिलों में फैला हुआ है।
2018 में आया रीसाइक्लिंग का विचार
नमन गुप्ता बताते हैं कि उन्हें यह आइडिया पोस्ट ग्रेजुएशन में रहने के दौरान सिगरेट पर देख कर आया था जो वहां देखते थे कि कॉलेज में चाय की दुकान पर सिगरेट पीकर कई लोग इधर-उधर फेंक देते थे। जब उन्होंने इसके बारे में गूगल पर सर्च किया तो उन्हें पता चला कि सिगरेट को डीकंपोज होने में करीब 10 साल लग जाते हैं। इसके बाद उन्होंने 4 महीने तक इसके बारे में रिसर्च किया। इको फ्रेंडली प्रोडक्ट बनाएं जा सकते हैं। 2018 में इसमें उन्होंने बड़े भाई की मदद ली और रीसाइक्लिंग पर काम शुरू कर दिया।
4-5 महीने नमन ने लिया इसका ट्रायल
इसके बाद नमन ने अपने बड़े भाई विपुल गुप्ता की मदद ली और साइंस बैकग्राउंड से उन्होंने इस तरह की मशीनें तैयार करवाई तो सिगरेट बट को 100% तक रिसाइक्लिंग कर सके। चार-पांच महीने के ट्रायल के बाद आखिरकार उनका सपना साकार हुआ। इसके बाद उन्होंने कोर्ट एफर्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी खोली जिसमें वहां सिगरेट वेस्ट मैनेजमेंट पर काम कर रहे हैं। भारत की बात करें तो यहां पर हर दिन 10000 करोड से अधिक सिगरेट बट की खपत होती है।
इस तरीके से कलेक्ट करते हैं खराब सिगरेट
मीडिया के समक्ष बात करते हुए नमन ने कहा कि वहां अलग-अलग स्टेप्स में काम कर रहे हैं और 3 तरीकों से सिगरेट कलेक्ट कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वहां कबाड़ उठाने वाले या ऐसे लोगों की मदद लेते हैं जिनके पास काम नहीं है यह लोग इधर उधर से सिगरेट केवल जमा करते हैं। प्रति किलो के हिसाब से इन्हें पैसे भी देते हैं। इसके बाद ही कंपनियों कारपोरेट और पान दुकानों पर डस्टबिन पहुंचाते हैं इसमें लोग सिगरेट खराब होने के बाद फेंकते हैं फिर हमारी टीम के सदस्य उसे लेकर आते हैं।
सिगरेट की तंबाकू से बनाते है खाद
इसके बाद सिगरेट पीने के बाद बचा हुआ तंबाकू सिगरेट पर लिपटा हुआ कागज सिगरेट का फिल्टर यह तीन चीजें खराब होती है। 28 दिन में सिगरेट तंबाकू से बन जाती है खाद इसके बाद कारखाने में गड्ढा तैयार करवा रखा है तंबाकू यहां तक डालकर उसमें बैक्टीरिया और फंगल मिलाकर 28 दिन के लिए छोड़ देते हैं। इतने दिनों में जहरीला तंबाकू शानदार खाद बन जाता है और हम इसे नर्सरी में दान कर देते हैं।
नमन ने बताया कि सिगरेट पर लिपटे पेपर से लिफाफा और कागज बनाया जाता है। पेपर तैयार करते हुए लुगदी में गेंदे और तुलसी के बीज डाल देते हैं। इससे होकर यह कि पेपर यूज करने के बाद उसे फेंकने की वजह गमले में डाल देते हैं जो तुलसी का पौधा या गेंदे के फूल खिल जाएंगे ।इसके साथ ही कारखाने में रीसाइक्लिंग मशीन लगा रखी है। जिसमें सिगरेट के बट की रुई से सॉफ्ट टॉयज, तकिया जैसी चीजें बनाई जाती है। वही अब इनका बिजनेस काफी ऊपर पहुंच चुका है। 1000 लोगों को रोजगार उपलब्ध करवा रहे हैं। जिसमें करीब 100 महिलाएं काम कर रही है। इन्हें प्रति प्रोडक्ट के हिसाब से भुगतान किया जा रहा है।