सावन में करें इस अद्भुत और अलौलिक शिवलिंग के दर्शन, छूते ही होता है ये चमत्कार, भक्त भी हो रहे हैरान

14 जुलाई यानी गुरुवार से भगवान भोलेनाथ का प्रिय महीना सावन शुरू हो चुका है। इस समय देशभर के शिवालयों में शिव भक्तों का तांता लगा हुआ है। इसके अलावा कावड़ यात्रा भी शुरू हो चुकी है। कांवड़िए मां गंगा का पवित्र जल लेकर भगवान भोलेनाथ का जलाअभिषेक कर रहे हैं। हालांकि सावन महीने की शुरुआत तो हो चुकी है, लेकिन सावन का पहला सोमवार 18 जुलाई को है। ऐसे में अभी से ही भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए भक्त पहुंच रहे हैं। वहीं कई मंदिरों की कहानी है, जहां पर चमत्कार होते हैं। आज हम आपको एक ऐसे प्राचीन शिवलिंग के बारे में बता रहे हैं जिसे सुनकर आप हैरान हो जाएंगे। यहां पर कहा जाता है कि शिव लिंग को हाथ लगाने से चमत्कार होता है आइए जानते हैं।

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इस जगह स्थित है चमत्कारी शिवलिंग

दरअसल देश भर में कई चमत्कारी मंदिर है। अब ऐसे में हम बात करें भगवान भोलेनाथ के मंदिर की तो बहुत ही अलौकिक और सुंदर मंदिर छत्तीसगढ़ में स्थित है। यहां पर एक प्राचीन शिवलिंग है ।बताया जाता है कि इस शिवलिंग से हमेशा सुगंध निकलती रहती है ।अलग-अलग समय पर अलग-अलग खुशबू शिवलिंग से आती है। इसीलिए इस शिवलिंग को गंधेश्वर महादेव का नाम दिया गया है। आइए जानते हैं आखिर क्या है इस शिवलिंग का इतिहास और रहस्य।

अगल-अलग खुशबू से महकता है शिवलिंग

भगवान भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंग के बारे में तो सभी जानते हैं, लेकिन अब हम भगवान शिव का एक ऐसा शिवलिंग के बारे में बता रहे हैं जो काफी अलौकिक और हैरान करने वाला है ।दरअसल भगवान शिव का यह मंदिर छत्तीसगढ़ के पुरातात्विक नगरी शिरपुर जो की राजधानी रायपुर से सड़क मार्ग के रास्ते 85 किलोमीटर और महासमुंद जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर पर स्थित है। इस मंदिर में सावन महीने में बड़ी संख्या में लोग दर्शन करने पहुंचते हैं। महाशिवरात्रि के मौके पर भी भगवान भोलेनाथ के भक्त भगवान के दर्शन करने पहुंचते हैं और आशीर्वाद प्रदान करते हैं। ऐसे में इस शिवलिंग के बारे में बताने जा रहे हैं। यह शिवलिंग अलग-अलग समय पर अलग-अलग खुशबू से महकती है।

शिवलिंग को स्पर्श करने पर होता है चमत्कार

छत्तीसगढ़ को पुरातात्विक नगरी के नाम से भी जाना जाता है ।सिरपुर में महानदी के तट पर स्थित भगवान शिव का वहां अद्भुत शिवलिंग है। जिसे गंधेश्वर नाम से जाना जाता है ।सिरपुर में महानदी के तट पर किनारे मनोरम दृश्य के साथ भगवान गंधेश्वर विराजमान है। इस शिवलिंग से निकलने वाली खुशबू समय के साथ बेशक विलुप्त हो रही है, लेकिन गर्भ गृह में भगवान शिव का शिवलिंग रास्ता भी थे और जिसे भगवान गंधेश्वर के नाम से पुकारा जाता है। भगवान की महिमा का आभास होता आपको होगा, क्योंकि शिवलिंग को स्पर्श करने के बाद आपके हाथों में एक अजीब सी खुशबू महसूस होगी।

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जानकार बताते हैं कि कभी यहां से निकलने वाली गंध पूरे इलाके में महसूस की जा सकती थी। जानकारी यह भी बताते हैं कि अभी भी यहां कभी-कभी तुलसी चंदन और अनेक प्रकार की गंध महसूस की जाती है। भगवान शिव का यह अद्भुत शिवलिंग वाकई आठवीं शताब्दी का है या फिर खुदाई से निकला है। पुरातत्व विभाग से जुड़े गाइड सत्य प्रकाश ओझा ने कहा कि भगवान शिव का यह शिवलिंग यहां पुरातत्व विभाग खुदाई से नहीं बल्कि आदिकाल से स्थित है।