मध्यप्रदेश के इन गांवों में 50 सालों से बना हुआ है जल संकट, पानी नहीं मिलने से पलायन को मजबूर ग्रामीण

मध्य प्रदेश में इस समय गर्मी भीषण कहर बरपा रही है। तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में कई शहरी क्षेत्र के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र है जहां पर पानी की किल्लत से लोग जूझ रहे हैं । पानी सबसे बड़ी समस्या बनकर लोगों के सामने आ गई है।मध्यप्रदेश के भिंड जिले के आधा दर्जन ऐसे गांव हैं जहां लोग पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। इन्हें पीने तक का पानी नहीं मिल पा रहा है जिसकी वजह से ग्रामीण पलायन करने को मजबूर है। इसमें खरौआ, बरौआ, छरेंटा गांव शामिल है।

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खरौआ, गांव में हजारों लोगों की आबादी है, लेकिन इस सिर्फ 500 लोग से भी कम बचे हैं। कई लोग पानी की किल्लत के चलते पलायन कर चुके हैं । लोगों को 2 किलोमीटर दूर जाकर पानी लेने जाना पड़ता है। यह सब प्रशासन की अनदेखी के चलते हो रहा है जिसकी वजह से अगर कहीं पानी भी है तो वहां पीने योग्य नहीं है।

शहरों में हो रहे शादी के कार्यक्रम

दरअसल ग्रामीण क्षेत्र में पानी की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है जिसकी वजह से लोग अपने बेटे या बेटी की शादी गांव में ना करते हुए शहरों में कर रहे हैं, क्योंकि यहां पर पानी की समस्या से लोग परेशान हैं। मई और जून के महीनों में लोगों को पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसना पड़ता है। जबकि यहां पर कई जनप्रतिनिधि और प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी बैठे हैं, लेकिन किसी का भी इनकी ओर ध्यान नहीं जा रहा है। इतना ही नहीं स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के लिए भी शिक्षक गोहद से पानी लेकर पहुंचते हैं।

गांवों से शहरों की और कर रहे पलायन

बता दें कि इस क्षेत्र में पीएचई विभाग के द्वारा वर्षों पहले नल एवं टैंक बनाया गया था जिससे लोगों को पानी मिल जाए, लेकिन आज वहां भी जर्जर स्थिति में पहुंच चुका है लेकिन अभी तक शासन प्रशासन ने ग्रामीणों के लिए पानी की व्यवस्था नहीं की है। ग्रामीणों ने पानी की समस्या को लेकर कई बार सांसद, क्षेत्रीय विधायक, सरपंच और जिम्मेदार अधिकारियों को अवगत कराया है, लेकिन अभी तक उनकी कानों तक आवाज नहीं पहुंची है। ऐसे में ग्रामीणों को काफी परेशान होना पड़ रहा है और इसी परेशानी के चलते अब ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर पलायन करने में लगे हुए हैं।

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सर्वे के बाद भी नहीं निकला कोई हल

बता दें कि ग्रामीणों की पानी की समस्या को लेकर कई बार पीएचई विभाग द्वारा सर्वे कराया जाता है,लेकिन अधिकारियों द्वारा सिर्फ कागजी खानापूर्ति की जाती है जिससे अभी तक ग्रामीणों को किसी भी तरह का लाभ दिखता नहीं नजर आ रहा है। ग्रामीणों की समस्या आज से नहीं बल्कि कई सालों से बनी हुई है। यहां पर 50 सालों में कई सरकारें और जनप्रतिनिधि आकर चले गए हैं लेकिन अभी तक ग्रामीणों की समस्या खत्म नहीं हुई है।