मध्यप्रदेश में वेल्डर के बेटे दीपक ने JEE मेन्स में मारी बाजी, 99.938% लाकर पिता का सिर गर्व से किया ऊंचा, CM शिवराज भी हुए मुरीद

मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर के एक होनहार बच्चे ने अपने पिता का नाम रोशन किया है। दरअसल वेल्डर के बेटे ने हाल ही में घोषित जेईई मेंस परीक्षा में 99.938 प्रतिशत हासिल कर अपने परिवार के साथ ही अपने माता—पिता का नाम रोशन किया है। दरअसल दीपक प्रजापति देवास जिले का रहने वाला है और इंदौर में रहकर पढ़ाई कर रहा था। 19 साल के दीपक ने यह सफलता हासिल कर उसकी उम्र के बच्चों के लिए एक मिसाल पेश की है। खासकर उनके लिए जो सुविधाओं की कमी की शिकायत हमेशा करते आए हैं। दीपक बेहद गरीब परिवार से आता है, लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने मेहनत के बाद इस सफलता को हासिल की है।

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​बेल्डिंग का काम करते है पिता

मध्यप्रदेश में कई बच्चे हैं जिनमें प्रतिभा की कमी नहीं है। ऐसे होनहार बच्चे शिक्षा जगत में कई तरह के कीर्तिमान रच रहे हैं। कई बच्चों ने यूपीएससी में टॉप किया है तो कई बच्चे ऐसे हैं जो शिक्षा क्षेत्र में एक के बाद एक सफलता हासिल कर रहे हैं ।ऐसे में देवास जिले के एक गरीब परिवार में पले बढ़े दीपक प्रजापति ने हाल ही में जेईई मेंस परीक्षा में सफलता हासिल की है। बता दें कि दीपक के पिता वेल्डिंग का काम करते हैं। उनके बच्चे ने इस सफलता को हासिल की है। जिसके बाद उनके पिता को बेटे पर काफी गर्व है।

मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर दी बधाई

छात्र के संघर्ष की कहानी सुनकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी पीछे नहीं हटे और उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से जमकर तारीफ की है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दीपक की सफलता पर ​ट्वीट कर लिखा.. आपने दिखा दिया है कि मन में चाहा हो तो रहा बनती ही है ।आपकी इस उपलब्धि से मध्यप्रदेश गौरवान्वित है।

किराए के मकान में रहता है परिवार

बता दें कि दीपक इंदौर के एक हॉस्टल में रहकर आईआईटी की तैयारी कर रहा है। वहीं उसके पिता राम प्रजापति मां अनीता देवी और छोटे भाई बहन देवास जिले के विकास नगर में छोटे से घर में किराए से रहते हैं। ऐसे में गरीब परिवार के इस बेटे ने अब बड़ी सफलता हासिल कर ली है। दीपक ने कहा कि एक समय वहां भी था जब वहां पढ़ाई में काफी कमजोर थे तो उन्हें काफी मेहनत करना पड़ी थी। उनका परिवार यूपी के देवरिया जिले का रहने वाला है। पहले वहीं रहते थे जबकि पिता देवास आ गए थे ।दसवीं पास पिता ने देवास में मजदूरी से काम की शुरुआत की बाद में उनकी एक कंपनी में जॉब लग गई।

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सात आठ साल की उम्र में हमारा पूरा परिवार देवास में बस गया। उम्र के हिसाब से पिता तीसरी क्लास में एडमिशन कराने गए, लेकिन पढ़ाई में कमजोर होने की वजह से एडमिशन नहीं मिल पाया ।8 क्लास तक घर के पास ही बने एक छोटे से स्कूल में पढ़ाई करने को मजबूर रहे। आर्थिक स्थिति कमजोर होने से 9 वीं और 10 वीं सरकारी स्कूल से की 11th और 12th प्राइवेट स्कूल से किया। 12वीं में 92.6 प्रतिशत बनाएं। नौकरी छूटने के बाद से पिता देवास की अलग-अलग कंपनियों में वेल्डिंग और लोहे से संबंधित काम करने लगे।

दीपक का इंजीनियर बनने का सपना

दीपक ने बताया कि उनका शुरू से ही सपना इंजीनियर बनने का रहा है ।कॉलोनी में रहने वाले एक भाई आईआईटी इंदौर में पढ़ते थे। जब उनसे इस बारे में पूछा उन्होंने कहा आईआईटी कानपुर से पढ़ाई करने का सपना है जिसे वह जरूर पूरा करेंगे। 11th क्लास से ही उसने जेईई की तैयारी शुरू की । बीते 10 महीनों से हॉस्टल में रहकर तैयारी कर रहे हैं। इंदौर में उनकी मौसी ने उनका एडमिशन करवाया था।

इसके साथ ही दीपक की मौसी ने पढ़ाई के लिए 55% फीस जमा करवाई। छोटे भाई बहन को किसी भी तरह की पढ़ाई में समस्या ना हो इसके लिए घर में टीवी भी नहीं लगवाया ।इसके साथ ही दीपक खुद भी एक पेड वाला मोबाइल चला कर गुजारा करते हैं। दीपक रोजाना 10 से 13 घंटे पढ़ाई कर रहे हैं अब आगे वहां एक अच्छा इंजीनियर बनना चाहता है।