देश में बन रहा 10 हजार करोड़ का एक्सप्रेस वे, 663 करोड़ का मुआवजा बांटेगी सरकार, मध्यप्रदेश के इन जिलों के 204 गांवों से गुजरेगा ये मार्ग
मध्यप्रदेश में लगातार सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है। एक तरफ मध्य प्रदेश की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को आखिरकार मंजूरी दे दी गई है। बता दें कि अटल प्रगति पथ यानी चंबल एक्सप्रेस वे परियोजना में आ रही सभी बाधाओं को दूर कर दिया गया है। अटल प्रगति पथ के लिए प्रस्तावित मार्ग को स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। ऐसे में बिहार चंबल नदी और जंगल का अधिकांश हिस्सा बाहर हो गया है और नए मार्ग की वजह से अब लागत भी कम हो गई है। इस प्रस्तावित मार्ग की लंबाई भी कम हो गई है। हालांकि निजी जमीन का अधिग्रहण करना पड़ेगा।
मध्यप्रदेश के 204 गांवों से गुजरेगा ये मार्ग
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के द्वारा मध्य प्रदेश को एक के बाद एक कई सौगात दी जा रही है। ऐसे में इंदौर में मध्य प्रदेश को 2300 करोड रुपए की जहां 5 परियोजनाओं को सौगात मिली थी ।इसी के साथ ही इंदौर में छह हाईवे भी बनाए जा रहे हैं। इसी बीच अटल प्रगति पथ में जो बाधाएं आ रही थी उन बाधाओं को दूर कर दिया गया है। नए प्रस्ताव के अनुसार परियोजनाओं की लागत 9581 करोड रुपए हो गई है। इस प्रस्तावित मार्ग की लंबाई में 6 किलोमीटर की कमी पाई गई है। अब यह मार्ग श्योपुर मुरैना और भिंड के 204 गांवों से होकर गुजरेगा ।पहले इसमें बिहार का 128 किलोमीटर का हिस्सा आ रहा था अब महज 13 किलोमीटर का रह गया है।
इस मार्ग पर 663 करोड़ खर्च करेगी सरकार
बता दें कि वन भूमि भी 403 हेक्टेयर की जगह 13 हेक्टेयर की रहेगी हालांकि निजी भूमि का अधिग्रहण अधिक करना पड़ेगा ।सरकार 663 करोड़ रुपए का मुआवजा भी इन लोगों को बांटेगी ।परियोजना से प्रस्तावित रहे जंगल और बीहड़ को देखते हुए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने आपत्ति भी लगाई थी। इस आपत्ति के बाद एक्सप्रेस.वे के पूर्व मुख्य मार्ग को नया प्रस्ताव भेजा गया है। जेपी रोड मुरैना जिले का 226 क्षेत्र नहीं आएगा ।वही भिंड जिले में 170 हेक्टेयर की बजाय 12. 74 क्षेत्र स्थापित होगा। अटल प्रगति पथ में चंबल के बीहड़ का 93 प्रतिशत हिस्सा नहीं आएगा। निजी भूमि अब 1337 हेक्टेयर की जगह 1977 हेक्टेयर आएगी। वहीं सरकार की तरफ से 350 करोड रुपए की बजाय अब 623 करोड रुपए खर्च किए जाएंगे।
लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की मानें तो परियोजना को लेकर कई आपत्ति आई थी ।जिसे अब दूर कर दिया गया है। केंद्र सरकार द्वारा टर्मा प्रेफरेंस यानी टीओआर प्रकट होने से अब इस प्रोजेक्ट में कोई भी अड़चन नहीं आएगी ।यह मार्ग चंबल नदी से 2 किलोमीटर दूर हो गया है ।वहीं अब जंगल का हिस्सा भी पूरी तरह से दूर कर दिया गया है ।यानी इस परियोजना में अब दूरी भी कम हो गई है। कोई निजी भूमि का अधिग्रहण भी करना पड़ेगा ।जिसके लिए सरकार को भूमि के लिए लोगों को भी देना पड़ेगा। इसके लिए 15 नवंबर 2020 तक एक आदेश जारी कर दिए जाएंगे।