बेटा कहने में पिता को आती थी शर्म, आज उसी डांसिंग क्रॉप रंजीत पर सबसे अधिक गर्व, 23 साल की नौकरी में मिले इतने अवार्ड

इंदौर ही नहीं बल्कि देशभर में डांसिंग कॉप के नाम से मशहूर रंजीत सिंह जोकि डांस करते हुए चौराहे पर ट्रैफिक संभालने को लेकर कई बार सुर्खियों में रहते हैं। हाई कोर्ट के सामने रंजीत सिंह डांस करते हुए ट्रैफिक संभालते हैं ।यहां से जब लोग अपने वाहन लेकर गुजरते हैं तो एक नजर सिर्फ रंजीत सिंह को ही देखते हैं। रंजीत सिंह अब तक कई अवार्ड अपने नाम कर चुके हैं। अब रंजीत सिंह को भारत गौरव अवार्ड से सम्मानित किया गया है। रंजीत सिंह की सर्विस का यह 155 वां अवार्ड है। उन्हें पुलिस विभाग के द्वारा 350 अलग-अलग तरह के पुरस्कार भी मिल चुके हैं। 2018 में तत्कालीन डीजीपी ऋषि कुमार शुक्ला द्वारा 25000 का नगद पुरस्कार भी उन्हें दिया गया था।

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केलर के राज्यपाल दे चुके रंजीत को अवार्ड

रंजीत सिंह अपनी डांस करने की स्टाइल से ट्रैफिक संभालने को लेकर काफी सुर्खियों में रहते हैं। उनकी डांस स्टाइल इतनी पसंद आई कि लद्दाख पुलिस ने अपने जवानों की ट्रेनिंग के लिए रंजीत सिंह को बुलाया था। रंजीत सिंह ने लद्दाख में पुलिस जवानों को ट्रेनिंग दी थी। उनकी डांस करने की इस स्टाइल को काफी पसंद किया जाता है। 3 जून को इंदौर के डांसिंग कॉप रंजीत सिंह को दिल्ली में केलर के राज्यपाल के हाथों भारत का गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया था। बता दें कि रंजीत सिंह के नाम इससे पहले वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी नाम दर्ज है उन्हें महामारी के दौर में सेवा करने को लेकर अवार्ड मिल चुके हैं।

1999 में क्राइम ब्रांच में शामिल हुए रंजीत

रंजीत सिंह ने बताया कि वह चार भाई हैं उनमें सबसे बड़े होने के नाते उनके माता-पिता की काफी उम्मीद उनसे जुड़ी हुई है। उनके पिता शिवजी सिंह पेटलावद में थाना प्रभारी के पद से रिटायर हुए हैं। बचपन में पढ़ाई से अधिक रुचि नहीं होने के कारण पिता उन्हें कई बार डांटते और कहते थे.. मुझे शर्म आती है कि तू मेरा बेटा है, लेकिन 4 जून 1999 में रंजीत ने क्राइम ब्रांच की नौकरी की शुरुआत की ।

2004 में इसलिए मिला था अवार्ड

2004 में तेज बारिश के दौरान पलासिया मैग्नेट महिला का ऑटो पलट जाने के बाद उसे अस्पताल पहुंचाने के लिए उन्हें पहला इनाम मिला। इसके बाद इंदौर के तत्कालीन एसपी मधु कुमार बाबू द्वारा उन्हें लिस्ट ऑफ इंदौर का अवार्ड दिया गया। इसके बाद पिता को अपने बेटे रंजीत पर काफी गर्व हुआ।

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वहीं वर्ष 2015 की बात करें तो इंदौर हाई कोर्ट के एक फैसले में उच्च न्यायाधीश के जज ने भी रंजीत सिंह का उदाहरण देते हुए लिखा था कि यदि अपने कर्तव्य का पालन करना हो तो चौराहे पर खड़े हुए यातायात जवान रंजीत सिंह को देखो ।किस तरह से वहां यातायात को संभालते हैं इसके साथ ही उन्हें कई तरह के पुरस्कार भी मिल चुके हैं।