बकरी चराने वाली लड़की ने किया ऐसा कमाल, लालटेन और मोबाइल टॉर्च में पढ़ाई कर बनी आईएएस

यूपीएससी परीक्षा में कई युवाओं ने सफलता हासिल की है। इस बार परीक्षा में देश की तीन बेटियों ने टॉप किया है। इसके साथ ही कई युवा कड़ी मेहनत के बाद सफलता हासिल कर रहे हैं। जिसमें ड्राइवर से लेकर सफाई कर्मचारी यहां तक कि अब बकरी चराने वाले की बेटी ने यूपीएससी में टॉप कर अब आईएएस अधिकारी बनी है। यूपीएससी परीक्षा पास करना हर किसी के बस में नहीं होता है। इसके लिए जीतोड़ मेहनत करना पड़ती है तब कहीं जाकर सफलता मिल पाती है।

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दिन बकरी रात में लालटेन से करती थी पढ़ाई

दरअसल राजस्थान के अलवर इलाके की रहने वाली रवीना ने अब यूपीएससी में सफलता हासिल की है। इनके संघर्ष की कहानी बहुत ही हैरान करने वाली है। 12वीं में संसाधनों की कमी और गरीबी के बावजूद आर्ट सब्जेक्ट से 93 फ़ीसदी अंक लाकर अपने माता-पिता का नाम रोशन किया था, लेकिन इस कारनामे के बाद भी उन्होंने अपने आपको रूकने नहीं दिया और आगे बढ़ती गई। आलम यह था कि गरीब परिवार की लड़की के घर में बिजली की व्यवस्था भी नहीं थी। रवीना दिन भर बकरी चराती और रात में मोबाइल की टॉर्च और लालटेन से पढ़ाई करती थी। दुर्भाग्य से रविना के पिता भी इस दुनिया में नहीं है। पढ़ाई के साथ घर में आर्थिक मदद के लिए बकरी चरा थी और उनसे मिलने वाले पैसों से अपनी पढ़ाई पूरी करती थी।

भाई-बहनों में तीसरे नंबर की थी रवीना

अलवर जिले के गड़ी माममोड गांव में रहती है जब उनके घर में बिजली नहीं रहती थी तो वहां मोबाइल की टॉर्च की मदद से पढ़ाई करती थी। झोपड़ी की तरह बने घर में बिजली नहीं आ आती थी। इसके साथ ही रवीना अपनी पढ़ाई लालटेन की मदद से करती थी। रवीना घर के काम से लेकर छोटे बड़े भाई बहनों का भी पूरा ध्यान रखती है। रवीना चार भाई बहन में तीसरे नंबर पर है। उनकी बड़ी बहन की शादी हो चुकी है। उनके परिवार का खर्च योजना के तहत मिलने वाले 2000 रुपये से चलता है। मोबाइल भी पढ़ाई के लिए बाल आश्रम स्कूल संचालक नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के द्वारा दिया गया था।

रवीना ने अब सफलता हासिल कर ली है और अब आईएस बन गई है। उसे उसकी सफलता पर ढेरों बधाई दी जा रही है। विपरीत परिस्थितियों में भी जीत हासिल करने वाली रवीना गुर्जर गांव के लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। रवीना का कहना है कि उन्हें काफी खुशी हो रही है।

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