प्रोफेसर हो तो ऐसा, कॉलेज में पढ़ने नहीं आते थे छात्र तो परेशान होकर लौटा दी 3 साल की सैलरी, दंग रह गए लोग

इस समय देखा जाता है कि कई स्कूल शिक्षक होते हैं जो कि स्कूलों में पढ़ाने जाते हैं, लेकिन बच्चे नहीं आने की वजह से या फिर कई बार बच्चे स्कूल में मौजूद रहते हैं और साहबजादे आराम फरमाते हुए नजर आते हैं। ऐसे में दूसरे शिक्षकों के कार्य पर अंकुश लगा देते हैं। अब हम आपको ऐसे ईमानदार शिक्षक के बारे में बताने जा रहे हैं जो अब सोशल मीडिया पर काफी तारीफ बटोर रहे हैं। लोगो कि इस प्रशंसा का कारण यह है कि जहां एक और महामारी के दौर में कई स्कूल और संस्थानों ने नहीं पढ़ाने के बावजूद भी परिजनों से पूरी फीस वसूली थी वहीं अब इस प्रोफेसर ने क्लास नहीं लेने की वजह से 3 साल की पूरी सैलरी वापस लौटा दी है।

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इस प्रोफेसर ने 3 साल की लौटाई सैलेरी

दरअसल हम बात कर रहे हैं बिहार के मुजफ्फरपुर जिला स्थित भीमराव अंबेडकर बिहार यूनिवर्सिटी की। यहां के नितिश्वर कॉलेज के सहायक प्रोफेसर डॉ. ललन कुमार अब सोशल मीडिया पर काफी सुर्खियां बटोर रहे हैं। दरअसल उन्होंने महामारी के दौर में क्लास नहीं ली तो अपनी पूरी सैलरी यूनिवर्सिटी को वापस लौटा दी है। वहां पिछले 3 साल से विश्वविद्यालय को पत्र लिख रहे थे उनकी मांग यह है कि उन्हें कहीं अच्छे कॉलेज में नियुक्ति दिलवा दें, ताकि वहां बच्चे पढ़ने आए और उन्हें वहां पड़ा सके। उन्होंने कई पत्र लिखे लेकिन एक का भी जवाब नहीं आया। ऐसे में उन्होंने परेशान होकर अंत में अपनी 3 साल की पूरी सैलरी यूनिवर्सिटी को वापस लौटा दी है।

2019 में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में मिली नियुक्ति

प्रोफेसर ललन कुमार ने अपनी सैलरी यानी कि 23 लाख 82 हजार 228 रुपये वापस करते हुए इस्तीफे की पेशकश रखी है। मीडिया से रूबरू होते हुए उन्होंने बताया कि 23 सितंबर 2019 को बिहार लोक सेवा आयोग के माध्यम से असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में चयनित हुए थे। 2019 से 2022 तक उनकी 6 बार ट्रांसफर पोस्टिंग हुई। इससे तंग आकर उन्होंने चार बार आवेदन लिखकर मांग की कि उनके कालेज में पढ़ाई नहीं होती है। वहां बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं इसके बाद उनका दूसरी जगह ट्रांसफर नहीं किया गया।

नितिश्वर कॉलेज में पढ़ते है 1100 बच्चे

वहीं ललन कुमार के बार-बार रिक्वेस्ट करने के बाद भी जब उनका ट्रांसफर नहीं किया गया तो उन्होंने इस्तीफे की पेशकश कर दी। 25 सितंबर 2019 से मई 2022 तक प्राप्त पूरी सैलरी विश्वविद्यालय को वापस करने का फैसला किया ।उनका कहना है कि विद्यार्थियों की संख्या सुनने है जिस वजह से वहां चाहकर भी अपने दायित्व का निर्वहन नहीं कर पा रहे हैं। ऐसी स्थिति में वहां सैलरी स्वीकार नहीं कर सकते हैं। उनका कहना है कि नितिश्वर कॉलेज में कुल 1100 बच्चे हैं, लेकिन यह बच्चे एडमिशन कराकर केवल एग्जाम देने आते हैं। इसके अलावा 110 बच्चों वाले हिंदी डिपार्टमेंट पिछले 3 साल में अभी तक 10 क्लास भी हिंदी की नहीं हुई है।

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राष्ट्रपति अवार्ड भी मिल चुका

उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज से ग्रेजुएशन और जेएनयू से पीजी की पढ़ाई की है और वहां इन जगह पर टॉपर भी रहे हैं। उन्हें जजों सन में एकेडमिक एक्सीलेंस का राष्ट्रपति अवार्ड भी मिल चुका है। इसके अलावा एमफिल और पीएचडी भी उन्होंने की है।