कोयला संकट के बीच भारतीय रेलवे ने उठाया बड़ा कदम, 670 ट्रेनों को 24 मई तक किया निरस्त, अब शुरू हुआ विवाद

देश में कोयला संकट मंडराता जा रहा है। ऐसे में आने वाले समय में बिजली की काफी समस्या बढ़ सकती है। बिजली की मांग बढ़ने के साथ कोयले की खपत भी बड़ी है। इसकी जरूरत को पूरा करने के लिए अब रेलवे परिवहन पर इसका दबाव पड़ गया है जिसको लेकर अब केंद्र की मोदी सरकार के आदेश के बाद 24 मई तक 670 पैसेंजर ट्रेन रद्द कर दी गई है इनमें पांच सौ से अधिक लंबी दूरी की मेल और एक्सप्रेस ट्रेनें शामिल है। महाराष्ट्र, पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में कोयले की कमी देखी जा रही है जिसकी वजह से अब कोयले की पूर्ति करने के लिए कुछ हफ्तों से रोजाना 16 मेल एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेनों को रद्द करना पड़ रहा है इसके साथ ही कोयले से लदी मालगाड़ी ओं की संख्या भी बढ़ा दी गई है।

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कोयलें की धुलाई में लगी 415 मालगाड़ी

रेलवे की माने तो कोयले की मांग को पूरा करने के लिए अब 415 माल गाड़ियां कोयले की ढुलाई के लिए लगा दिया गया है। यह माल गाड़ियां करीब कोयले ले जाने में सक्षम रहेगी। उनका कहना है कि बिजली संयंत्रों में कोयले का स्टॉक बढ़ाने के लिए इस तरह की व्यवस्था की गई है जो 2 महीने तक जारी रहेगी ।वही जुलाई-अगस्त में कोयले का संकट भी टल जाएगा और बारिश के कारण कोयला खनन सबसे कम होता है। इस समय देखा जाए तो देश में कोयले की कमी की वजह से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

ट्रेन रद्द होने से विरोध हुआ शुरू

वहीं कई जगह अब यात्री ट्रेनों के रद्द होने की वजह से विरोध भी शुरू हो गया है। रेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि उनके पास ट्रेन को रद्द करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है सभी की प्राथमिकता है की बिजली संयंत्र में पर्याप्त कोयला भंडार रखें ताकि आगामी समय में देश में बिजली का संकट उत्पन्न ना हो इसलिए इन ट्रेनों को रद्द करते हुए कई ट्रेनों को कोयला धुलाई के लिए लगा दिया गया है। वही पूर्वी क्षेत्र से देश के अन्य भागों में बड़ी मात्रा में घरेलू कोयले को भेजा जा रहा है। वहीं कोयलें के परिवहन के लिए माल गाड़ियों की संख्या में भी बढ़ोतरी कर दी गई है, जहां 2016-17 में 2069 गाड़ियां चल रही थी अब इसकी संख्या गुरुवार तक यह संख्या 405 हो गई है।

रेलवे अधिकारियों का कहना है कि 70% बिजली पैदा करने के लिए कोयले का उपयोग किया जाता है और कोयले की आवाजाही बढ़ाने के लिए रेलवे ने भी इस तरह के कदम उठाए हैं। लंबी दूरी की ट्रेनें चलाई जा रही है कोयले की लोडिंग और अनलोडिंग की प्रक्रिया पर वरिष्ठ अधिकारी नजर बनाए बैठे हैं। उनका कहना है कि अगर कोई लेकर मार्गों में कोई दिक्कत आती है तो उसे प्राथमिकता के आधार पर दूर किया जाएगा।

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