MP: 24 दिन की बच्ची को इलाज के लिए ले जा रहे थे अस्पताल, रास्तें में अटकी सांसे तो इस वायरल मैसेज ने दी नई जिंदगी, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने की तारीफ
दुनिया में आज भी इंसानियत जिंदा है यहां लोग एक दूसरे की मदद करने से पीछे नहीं हटते है। वहीं अब सोशल मीडिया का दौर है इसमें मदद कुछ पल में मिल जाती है। आधुनिक दौर में सोशल मीडिया ना सिर्फ सूचना प्रसारण के काम आ रहा है, बल्कि अब यह एक दूसरे की मदद के लिए महत्वपूर्ण जरिया बन गया है। दरअसल हम यह बात इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इसी सोशल मीडिया की वजह से एक 24 दिन की बच्ची की जान बची है।
दरअसल मामला मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल का है, जहां गुरुवार 10 बजे सोशल मीडिया के प्लेटफार्म व्हाट्सएप पर एक मैसेज चला। जिसमें एक 24 दिन की बच्ची को मदद चाहिए थी, जैसे ही मैसेज वायरल हुआ तो भोपाल रेलवे स्टेशन पर मदद के लिए हजारों हाथ सामने आ गए। वहींरेलवे स्टेशन पर बच्ची की मदद करने वालों की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर भोपाल के लोगों के इस जज्बे की तारीफ की है।
हुआ यूं कि जब राजधानी एक्सप्रेस से नागपुर से दिल्ली एक 24 दिन की बच्ची को दिल की बीमारी के इलाज के लिए ले जाया जा रहा था। इसी दौरान रास्ते ऑक्सीजन सिलेंडर बंद हो गया और बच्ची की सांसे टूटने लगी। इसी बीच किसी ने मदद के लिए एक मैसेज वायरल कर दिया। जैसे ही भोपाल की जनता को यह मैसेज मिला तो उन्होंने शहर भर से ऑक्सीजन सिलेंडर इकट्ठे करना शुरू कर दिया।
शहर भर से ऑक्सीजन सिलेंडर किए इकट्ठे
बच्ची की मदद के लिए भोपाल शहर के व्हाट्सएप ग्रुप पर इस मैसेज को वायरल किया गया। इसमें शहर के पत्रकार और एनजीओ ने काफी महत्वपूर्ण योगदान दिया। जैसे यह सभी के व्हाट्सएप ग्रुप पर मैसेज वायरल हुआ तो समाजसेवी और अस्पताल संचालक सिलेंडर के लिए शहर भर में दौड़ भाग करने लगे और जब तक ट्रेन रेलवे स्टेशन पर नहीं पहुंची उसके पहले चाइल्ड स्पेशलिस्ट मेडिकल टीम और उनके साथ समाजसेवी सिलेंडर लेकर रेलवे स्टेशन पहुंच गए। वहीं जैसे ही रेलवे स्टेशन पर ट्रेन पहुंची तो बच्ची को ऑक्सीजन देकर सांसे दी गई।
एक वायरल मैसेज ने बच्ची को दी जिंदगी
ट्रेन के भोपाल स्टेशन पर नहीं पहुंचने से पहले जिला अस्पताल के साथ दो निजी अस्पतालों से ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ कर्मचारी और चाइल्ड स्पेशलिस्ट के साथ ही समाजसेवी पहुंच गए। वहीं मध्य प्रदेश के सीनियर आईएएस अफसर पी. नरहरि भी ट्रेन के भोपाल से रवाना होने तक संपर्क बनाए रहे थे। इसके बाद जैसे ही ट्रेन रेलवे स्टेशन पर पहुंची तो बच्ची को दूसरा ऑक्सीजन सिलेंडर लगाकर ट्रेन को रवाना किया गया।