MP: भीषण गर्मी के बीच इस जिले में मंडराया जल संकट, 2-3 दिन नहीं मिल पाता पानी, 300 रुपए खर्च करने को मजबूर ग्रामीण

मार्च माह में ही गर्मी मई महीने जैसा कहर दिखा रही है। रात और दिन का तापमान बढ़ गया है। ऐसे में शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में नलकूप और बोरिंग सूखने लगे है। हालांकि गर्मी की अभी तो शुरुआत है लेकिन अभी से ही पानी की किल्लत शुरू हो गई है। मध्यप्रदेश के शिवपुरी में जैसे ही गर्मी शुरू होती है पानी की किल्लत भी बढ़ जाती है। आलम यह रहता है कि लोगों को पानी के लिए 2 से 3 दिनों तक इंतजार करना पड़ता है। तब कहीं जाकर उन्हें पानी मिल पाता है। इतना ही नहीं लोगों को पानी के लिए भी 300 रुपये खर्च करना पड़ता है तब कहीं टैंकरों से उन्हें पानी मिल पाता है ।हालांकि अभी तो गर्मी शुरू हुई है लेकिन पानी की किल्लत बढ़ने लग गई है।

google news

2010 में शुरू हुई थी जलावर्धन योजना

मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले में सिंध नदी से पानी लाने के लिए 2010 में जल आवर्धन योजना की शुरुआत की गई थी, लेकिन आज भी यह योजना सिर्फ कागजों में सिमट कर रह गई है। इसके लिए सरकार ने 55 करोड़ खर्च करें थे जो 12 साल में पढ़कर 120 करोड़ हो गए है, लेकिन योजना तो कागजों पर है और समस्या जस की तस बनी हुई। लगातार तापमान बढ़ रहा है और ऐसे में लोगों को दूरदराज से कहीं जाकर पानी मिल पा रहा है। इतना ही नहीं लोगों को पानी के लिए 300 रुपये तक खर्च करना पड़ता है और कभी हालात यह भी हो जाते हैं कि उन्हें 2 से 3 दिन तक पानी के लिए इंतजार करना पड़ता है।

पानी के लिए ग्रामीण करते है मशक्कत

मध्यप्रदेश के ऐसे कई जिले है, जहां पर जल संकट मंडरा रहा है। गांव में आलम यह है कि लोगों को 3 से 4 दिनों तक पानी के इंतजार में प्यासा रहना पड़ता है। बात करें अगर डिंडोरी जिले के गांवों की तो यहां भीषण जल संकट के हालात बने है। ताजा मामला शाहपुरा विधानसभा क्षेत्र के डोमदादर गांव का है, जहां लोगों को पानी के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। रात होते ही ग्रामीण कुए के पास जमा हो जाते है बारी का इंतजार करते हुए कुएं से पानी निकालते हैं। शाम से रात के बीच थोड़ा-थोड़ा पानी कुएं में जमा होता है। उसकी होड़ में ग्रामीण कुए पर लंबी लंबी लाइन लगाकर अपनी बारी का इंतजार करते हैं।

शिकायत के बाद भी नहीं ले रहे सुध

शिवराज सरकार के द्वारा कई तरह की योजना चलाकर लोगों को लाभ देने की कोशिश की जा रही है, लेकिन इन गांवों में आलम यह है कि एक बूंद पानी के लिए लोगों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। वहीं कड़ी मशक्कत के बाद भी प्यास बुझाने के लिए गंदा और मटमैला पानी पीना पड़ता है। गांव के स्कूल में हेड पंप लगा है जिसमें दो से तीन बाल्टी पानी आता है। ग्रामीणों ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि ग्राम पंचायत से लेकर कलेक्टर व संत्री से लेकर मंत्री तक इस मामले को लेकर शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कोई भी अधिकारी या कर्मचारी इस और ध्यान नहीं दे रहा है।

google news

मध्य प्रदेश के 1 या 2 जिलों की बात नहीं है ऐसे कई जिले और ग्रामीण क्षेत्र है, जहां गर्मी शुरु होते ही जल संकट गहराने लगता है। लोग अपनी जान जोखिम में डालकर कुएं में उतर कर पानी निकालते हैं और मिलता सिर्फ उन्हें गंदा और मटमैला पानी है। आलम यह भी रहता है कि लोगों को कई दिनों तक पानी नहीं मिल पाता है और जनप्रतिनिधि और अधिकारी मंत्री से संत्री तक हर किसी से शिकायत कर चुके होते हैं लेकिन इसके बावजूद भी इनकी सुध लेने को कोई भी नहीं आता है। बहरहाल अभी तो गर्मी शुरू हुई है,लेकिन आगामी समय में और विभीषण स्थिति देखने को मिल सकती है।