कभी नहीं थे फीस भरने के पैसे, आज इंदौर में सब्जी वाली की बेटी बनी जज, रिजल्ट सुनकर मां के छलके आंसू

अगर इंसान में कुछ कर गुजरने की ख्वाहिश हो तो मंजिल में कितनी भी मुसीबत है क्यों ना आए उसे पार कर ​ही लिया जाता है। इसी बीच मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में सब्जी बेचने वाले की बेटी सिविल जज बन गई। 25 साल की अंकिता नागर ने यह खुशखबरी पहले अपनी मां को दी है जो ठेले पर सब्जी बेच रही थी। जब अंकित अपना प्रिंटआउट लेकर मां के पास पहुंची और बोली मां में जज बन गई हूं। इतना सुनने के बाद मां अपने आंसू नहीं रोक पाई और खुशी से बेटी को गले लगा लिया। दरअसल रिजल्ट तो 1 हफ्ते पहले ही जारी हो गया था, लेकिन परिवार में किसी के यहां गमी हो जाने की वजह से वहां शहर से बाहर थे इसलिए उसे पता नहीं चला था।

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अंकिता ने एससी कोटे में 5वां स्थान किया हासिल

दरअसल मध्यप्रदेश में सिविल जज परीक्षा का रिजल्ट बीते 1 हफ्ते पहले जारी किया गया था। इसमें मध्य प्रदेश के कई युवाओं ने प्रदेश के साथ ही अपने माता-पिता का नाम रोशन किया है। एक तरफ जहां नीमच में ड्राइवर की बेटी जज बन गई है। वहीं दूसरी ओर आर्थिक राजधानी इंदौर में सब्जी बेचने वाली की बेटी सिविल जज बनी है। 25 साल की अंकिता नागर को जब रिजल्ट के बारे में पता चला तो काफी खुश हो गई और अपने रिजल्ट की प्रिंट आउट कॉपी लेकर अपनी मां के पास पहुंची और उन्हें अपने रिजल्ट के बारे में जानकारी दी है। बता दें अंकिता ने इस परीक्षा में एससी कोटे में पांचवा स्थान हासिल किया है।

8 घंटे पढ़ाई करती थी अंकिता

सब्जी बेचने वाले की बेटी आज जज बन गई उनके पापा सुबह 5:00 बजे उठकर मंडी चले जाते हैं और उनकी मम्मी सुबह 8:00 बजे से खाना बना कर पापा के साथ सब्जी के ठेले पर चली जाती है। फिर दोनों सब्जी बेच कर अपने परिवार का गुजारा करते हैं। उनका एक बड़ा भाई आकाश रेत मंडी में मजदूरी करता है। वहीं छोटी बहन की शादी हो चुकी है। परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था, लेकिन इसके बावजूद अंकिता ने हार नहीं मानी और आज अपने परिवार का नाम रोशन किया है। बता दें कि छोटे से कमरे में अंकिता रोजाना 8 घंटे पढ़ाई किया करती थी। शाम को ठेले पर ज्यादा भीड़ हो जाने की वजह से वहां अपने माता-पिता का हाथ बढ़ाने चली जाती थी। वहीं दुकान बंद कर आती और 11:00 बजे से पढ़ाई शुरू करती थी।

2017 में वैष्णव कॉलेज से किया था एलएलबी

अंकिता का कहना है कि उन्होंने 2017 में इंदौर के वैष्णव कॉलेज से एलएलबी किया था। 3 साल से सिविल जज की तैयारी कर रही थी। वहीं 2021 में एलएलबी की परीक्षा पास की उनके पिता के पास उनके कॉलेज की फीस भरने के लिए पैसे नहीं थे, लेकिन जैसे तैसे पैसे भर कर उन्होंने बेटी को आगे बढ़ाया और अंकिता भी लगातार सिविल जज की तैयारी में जुटी रही। दो बार उन्होंने परीक्षा भी दी लेकिन उनका सिलेक्शन नहीं हो पाया इसके बावजूद उनके माता-पिता उनका हौंसला बढ़ाते रहे और आखिरकार जैसे तैसे वहां आगे बढ़ती गई और आज उन्होंने अपने माता-पिता का नाम रोशन किया है।

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वहीं अंकिता के पिता अशोक नागर का कहना है कि वहां लंबे समय तक संघर्ष करती रही। आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी इसके बावजूद भी इधर उधर से रुपए उधार लेकर उसकी पढ़ाई पूरी करवाई और आज अंकिता ने उनका नाम रोशन किया है। वहीं मां लक्ष्मी ने बताया कि बेटी के जज बनने की खबर सुनते ही मेरी आंखों से आंसू झलक पड़े।अंकिता ने संघर्ष भरे दौर में भी पढ़ाई पर ध्यान लगाया। इसी का नतीजा है कि आज उन्हें इस तरह की सफलता मिली है।