स्कूल टीचर की नौकरी गई तो बन गए किसान, अब घर पर करने लगे मोती की खेती, 2 लाख पहुंचीं सालाना कमाई

अगर इंसान में किसी काम को करने की ललक और काबिलियत हो तो फिर वहां पीछे नहीं हटते हैं। ऐसे में कुछ लोग ऐसे थे जो कि काफी गरीब थे, लेकिन महामारी के दौर में नौकरी धंधे सब छूट गए। ऐसे में उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया था। बचपन से लेकर 25 साल की उम्र तक लोग पढ़ाई करते हैं और नौकरी की तैयारी करते हैं। कुछ लोग पढ़ाई के साथ ही पार्ट टाइम जॉब भी करते हैं जिससे उनकी पढ़ाई भी हो जाए और जरूरत भी पूरी हो सके, लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा होता है। इसके बाद मजबूरी में उन्हें कुछ ना कुछ जॉब करना पड़ती है। ऐसे ही स्कूल टीचर की कहानी हम आपको दिखाने जा रहे हैं जोकि महामारी के समय नौकरी जाने के बाद सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया था।

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हर साल 2 लाख कमा रहे स्कूल टीचर

दरअसल हम बात कर रहे हैं अजमेर शहर के रसूलपुरा गांव के निवासी राजा मोहम्मद की जो कि एक प्राइवेट टीचर थे, लेकिन महामारी की वजह से अचानक उनकी नौकरी चली गई और एक झटके में सड़क पर आ गए। 41 साल की उम्र में राजा को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। लॉकडाउन की वजह से स्कूल व्यवसाय सब बंद हो गए थे। ऐसे में रजा के सामने रोजी रोटी का संकट उत्पन्न हो गया। खुद को संभालने के लिए उन्होंने खेती करने का प्रशिक्षण लिया और घर पर ही मोती उगाने लगे। उनके इस फैसले ने उनकी जिंदगी को बदल दी। एक प्राइवेट स्कूल टीचर आज मोती की खेती से साल का 2 लाख कमा रहे हैं।

जानिए कितने रुपए से की थी शुरुआत

बता दें कि राजा मोहम्मद ने डेढ़ साल पहले मोती की खेती शुरू की थी। शुरुआत में उन्हें थोड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन मोती की खेती ने उन्हें अब लखपति बना दिया है। जब उन्हें मोती की खेती मे थोड़ी परेशानी आई और उन्हें पता चला कि राजस्थान के नरेंद्र कुमार गरबा लोगों को मोती की खेती के लिए प्रशिक्षण देते हैं तो उनके पास राजा भी प्रशिक्षण लेने पहुंच गए थे। इसके बाद उन्होंने उनसे प्रशिक्षण प्राप्त किया और 60 से 65000 में काम शुरू किया। वहीं सीप से मोती बनाने के लिए स्वयं एक यूनिट तैयार कर ली। मोती बनाने के लिए राजा ने खेत में 10 बाई 25 की एक जगह पर तालाब का निर्माण किया और उसमें सभी देशों से खरीदें सीप डाल दिए।

शुरूआत में झेलना पड़ा था इतना नुकसान

राजा मोहम्मद का कहना है कि सीप की अच्छी पैदावार के लिए सभी सीट को न्यूक्लियस में डालकर रख देना चाहिए और रोजाना उसके पानी के पीएच और अमोनिया लेवल जांच रहना चाहिए। इसके बाद उनकी मेहनत की रंग लाई और एक सीप के अंदर करीब 2 मोती बन गए। यह काम बहुत ही सावधानी और मेहनत का होता है। हालांकि उन्हें शुरुआत में 20 से 25% सीप खराब हो गई जिससे नुकसान झेलना पड़ा। इसके बाद गुणवत्ता के हिसाब से मोतियों की कीमत 200 रुपये से 1000 रुपये तक जा पहुंची। आज रजा को अच्छा खासा मुनाफा इस खेती से हो रहा है।

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