महाकाल मंदिर परिसर में विराजित है मां सरस्वती का खास मंदिर, जाने क्या है बसंत पंचमी पर दर्शन का महत्व

मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन के मंदिर विश्वविख्यात है, यहां कई ऐसे मंदिर हैं जिनमें भक्तों की अपार श्रद्धा है। इन मंदिरों को लेकर कई कथाएं और किवदंतियां भी प्रचलित हैं। इसी कड़ी में महाकाल मंदिर परिसर में स्थित ज्ञान की देवी मां सरस्वती का खास मंदिर जहां माता की प्रतिमा पर सिंदूर का चोला चढ़ाया जाता है। कवि कालिदास की नगरी उज्जैन में राजा विक्रमादित्य के समय से विराजित विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकालेश्वर मंदिर परिसर में सरस्वती देवी का मंदिर है जो महाकाल परिसर में बाल मस्त विजय हनुमान मंदिर में ही विराजित है, जिसके दर्शन कर भक्त विद्या की देवी की आराधना करते हैं।

google news

आपकों बता दे कि यह विश्व की एकमात्र देवी सरस्वती की प्रतिमा है जिस पर सिंदूर का चोला चढ़ाया जाता है, और भक्त यहां पर स्वयं विद्या प्राप्त करने के उद्देश्य से यहां आते है और सिर पर सिंदूर का टीका लगाते है। बसंत पंचमी अवसर पर मां सरस्वती की विशेष श्रृंगार कर पूजा अर्चना की गई,वही बड़ी संख्या में भक्तों ने माता का दर्शन कर आशीर्वाद लिया।

स्याही से अभिषेक का विशेष महत्व

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में यह मंदिर करीब 300 साल पहले बना था। इस मंदिर में बसंत पंचमी के मौके पर स्याही से अभिषेक करने का विशेष महत्व माना जाता है। वहीं इस मंदिर में पीले फूलों अर्पित करने का भी विशेष महत्व माना जाता है। मंदिर में विद्यार्थी परीक्षा के लिए मन्नते मांगने के लिए पहुंचते है।

इतने वर्ष पुरानी है मां की प्रतिमा

बता दें कि इस मंदिर में प्रतिमा करीब 1 साल पुरानी है। यहां मूर्ति बहुत ही अनूठी है मानाा जाता है कि इस मंदिर में विद्यार्थियों के दर्शन मात्र से हर तरह की मन्नते पूरी हो जाती है साथ ही उन्हें काफी लाभ भी मिलता है।

google news