मध्यप्रदेश में इस जगह स्थि​त है ये ऐतिहासिक किला, धार्मिक आस्था का केंद्र बने इस किले का शुरू हुआ संरक्षण

मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में स्थित मसूर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व का संरक्षण का कार्य शुरू हो चुका है। इसके संरक्षण को लेकर एएसआई यानी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के द्वारा मंजूरी दे दी गई है। वहीं इसे संवारने के लिए इसके लिए से संबंधित सभी दस्तावेज तैयार किए जाएंगे और संभागीय कमिश्नर राजीव शर्मा ने इसकी शुरुआत की थी। वन अधिनियम के नियमों का पालन करते हुए इसका एएसआई सर्वे का कार्य शुरू किया जाएगा। बता दें कि उमरिया जिले में स्थित बांधवगढ़ टाइगर बाघों के लिए मशहूर है, यहां लोग घूमने के लिए आते हैं और किले का आनंद भी लेते हैं।

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बाघों के साथ ही धार्मिक आस्था का बना केंद्र

बता दें कि उमरिया जिले का बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व बाघों के साथ ही धार्मिक आस्था का केंद्र बना हुआ है। इस रिजर्व को नई पहचान देने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने सर्वे की मंजूरी दे दी है और इसका सर्वे पूरा होने के बाद संरक्षण किया जाएगा। यहां ऐतिहासिक धरोहरों सुरक्षित करने और इसके इतिहास को लिपिबद्ध करने के लिए वन्यजीव प्रतिबंध विभाग ने भारतीय पुरातत्व विभाग को मंजूरी दी है।

800 मीटर ऊंचे पहाड़ों पर बना है किला

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बांधवगढ़ किले घने जंगलों के बीच करीब 800 मीटर ऊंचे पहाड़ों पर बना हुआ है। इस किले में अलग-अलग समय पर कई राजवंशों ने राज किया था। बता दें कि इस किले में बघेल राजवंशों मध्य कलचुरी करा रहा था। ऐसे में भगवान विष्णु के 12 अवतारों की विशाल प्रतिभाएं भी यहां पर मौजूद है और राम जानकी मंदिर के साथ ही कबीर गुफा संत शिरोमणि की तपोस्थली समेत कई ऐतिहासिक धरोहर एक जगह मौजूद है। इसको संरक्षण करने की मांग कई दिनों से लोगों के द्वारा की जा रही थी। आखिरकार अब इसके संरक्षण की मंजूरी मिल गई है।

मान्यता के अनुसार इस किले को भगवान राम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण को उपहार के रूप में दिया था। इसीलिए इस किले का नाम बंधु पड़ा और फिर बंधु से बांधव और फिर बांधवगढ़ हो गया ।वहीं शहडोल के संभाजी कमिश्नर राजीव शर्मा ने इस किलो को सुरक्षित करने की कोशिश शुरू की थी। इसके बाद वन संरक्षण वन्यजीव विभाग द्वारा अब इस को मंजूरी दे दी गई है और अब इसका संरक्षण का कार्य शुरू होगा।

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