ये है देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर की भाग्यश्री, जो बेसहारा और गरीबों के लिए बनी फरिश्ता, करती है इस तरह मदद

इस दुनिया में कई तरह के लोग होते हैं जो एक दूसरे की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं ।अब हम आपको मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर की एक ऐसी महिला के बारे में बताने जा रहे हैं जो ऐसे लोगों का सहारा बनी है जिनका इस दुनिया में कोई नहीं है। जहां लोग बेसहारा, बीमार, जख्मी और गरीब लोगों को सड़कों पर देखकर मुंह फेर लेते हैं, उन्हीं के लिए अब यह महिला फरिश्ता बनकर खड़ी है। यह महिला इन लोगों की मदद करने के साथ ही जितना हो सके हर तरह की व्यवस्था करती है।

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कई सालों से लोगों के लिए बनी फरिश्ता

दरअसल जिस शख्सियत की हम बात कर रहे हैं वहां आर्थिक राजधानी और देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर की रहने वाली भाग्यश्री खड़खड़िया है। भाग्यश्री लोगों को कभी भी दुखी नहीं देख सकती है। इनके खाने-पीने से लेकर पहनने तक की व्यवस्था करती है। कई सालों से बेघर बीमार और असहाय लोगों की सहायता करती आ रही है। इतना ही नहीं इनके इलाज का खर्च भी उठाती है और अगर सड़क पर कोई मृत अवस्था में पड़ा है तो उसके दाह संस्कार की पूरी व्यवस्था करवाती है।

मदद के लिए भाग्यश्री से करते है संपर्क

भाग्यश्री के इस नेक काम को देखते हुए लोग उन्हें फोन पर मदद के लिए सूचना देते हैं। इसके बाद वहां खुद लोगों को रेस्क्यू कर अस्पताल या आश्रम ले जाती है और दोनों ही जगह तब तक अपनी सेवाएं देती है जब तक कि वहां पूरी तरह ठीक नहीं हो जाते हैं ।बता दें कि भाग्यश्री किसी एनजीओ से नहीं जुड़ी है ,बल्कि खुद के दम पर मानव सेवा करती है। इस सेवा में उम्र बाधक नहीं है एक कई बच्चों और बुजुर्गों की मदद भी कर चुकी है। वहां कहती है जब तक जीवित रहूंगी तब तक मेरे द्वारा यह कार्य हमेशा जारी रहेगा। इसके साथ ही पुलिस विभाग भी लावारिस शव की शिनाख्त होने के बाद उनसे संपर्क करता है।

कई संस्था कर चुकी नेक कार्य के लिए सम्मानित

भाग्यश्री ने मीडिया को बताया कि इस काम के लिए उन्हें इंदौर के एक नामी समाजसेवी अमरजीत सिंह सूदन से सीख मिली थी। इसके बाद उन्होंने इस काम में बेसहारा और अशाय लोगों की सेवा करने का मन बनाया ।वहां किसी भी हालत में हो लेकिन अपने इस काम को करना नहीं भूलती है। वहां लोगों के पूर्ण आवास और ट्रीटमेंट के साथ उनके दिवंगत होने के बाद में उनके दाहकर्म का जिम्मा भी उठाती है। भाग्यश्री के इस काम में पूरे शहर के साथ ही कई समाजसेवी और यहां तक कि उनके पिता भी सहयोग करते हैं। भाग्यश्री का एक बेटा है और उन्हीं के नेक कार्य के लिए उन्हें कई संस्थाओं ने सम्मानित भी किया है।

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32 साल की भाग्यश्री करवा चुकी कई दाह संस्कार

32 साल की भाग्यश्री का कहना है कि वहां कई लोगों का अब तक दाह संस्कार कर चुकी है। जिनका कोई नहीं रहता है वहां उनकी मदद करती है ।देहांत होने के बाद वहां उस व्यक्ति का अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाजों के साथ और पंडित के द्वारा पूर्ण कराती है। कहा जाता है कि महिलाएं श्मशान घाट नहीं जाती है, लेकिन भाग्यश्री ऐसा नहीं मानती है और वहां खुद जाकर यह पूरा काम करवाती है। इतना ही नहीं कईयों का पिंडदान भी उन्होंने किया है ।आज सोशल मीडिया पर एक मानव सेवा के रूप में सुर्खियों में बनी हुई है।