इस शख्स ने घर पर बनाया ऐसा जुगाड़, गांव में अब कोई भी पानी के लिए नहीं होता है परेशान

इस समय देश भर में पानी की समस्या से लोग त्राहिमाम कर रहे हैं। पानी की विकट समस्या की वजह से लोग काफी परेशान हैं। आलम यह है कि लोग बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे है। इतना ही नहीं मटमैला पानी पीने को भी लोग मजबूर है। ऐसे में हम आपको एक ऐसी कहानी बताएंगे जिसने पूरे शहर गांव की तस्वीर बदल कर रख दी है। अगर इस समय बात करें तो मनुष्य का शरीर 75% पानी से बना हुआ है। पृथ्वी में उपलब्ध 80% चीजों को पानी की आवश्यकता पड़ती है। वहीं धरती पर पीने योग्य पानी मात्र 3% है। लगातार होती वनों की कटाई की वजह से पर्यावरण का संतुलन बिगड़ता जा रहा है जिसकी वजह से इन दिनों पानी का संकट देश भर में मंडरा रहा है।

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इस व्यक्ति ने मेहनत से किया जल संरक्षण

देशभर में देखा जाता है कि लगातार वनों की कटाई की वजह से धरती का जल स्तर लगातार गिरता जा रहा है। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने की वजह से अब धरती पर लोगों को पीने के लिए पानी तक नहीं मिल पा रहा है। पहले किसान बारिश के पानी से अपनी फसल लगाया करते थे, लेकिन आज किसान धरती का पानी पीने योग्य इस्तेमाल करके अपनी फसल बना रहे हैं। ऐसे में लोगों को जागरूक होने की आवश्यकता है और बारिश के पानी का संरक्षण जरूरी है। इसी बीच हम आपको बिहार के एक युवक की कहानी बताने जा रहे हैं जिन्होंने जल संरक्षण का काम किया है।

राहुल ने वाटर हार्वेस्टिंग को दिया आधुनिक रूप

इस समय हम बात कर रहे हैं राहुल रोहिताश्व कि जिन्होंने अपने छात्रों और किचन को अपने द्वारा निर्मित शॉप पर एक पाइप से जोड़ दिया। जिससे यहां से निकलने वाला पानी किसी भी तरह से वेस्टेज ना हो और वहां सोख पिट में चला जाए। राहुल ने जल संकट से अपनी पीढ़ी को बचाने के लिए अपने घर पर बूंद बूंद पानी को बर्बाद ना करके उसकी रक्षा की। बता दें कि राहुल भारतीय खाद्य निगम के भागलपुर मंडल कार्यालय में एक तकनीकी सहायक के पद पर तैनात है। गर्मी के दिनों में जहां लोग पानी के लिए तरस रहे थे। ऐसे में इन्होंने पानी को इकट्ठा कर आज उसका उपयोग कर रहे हैं। राहुल ने वाटर हार्वेस्टिंग को एक आधुनिक रूप दिया है।

इस तरह राहुल ने बनाया वाटर टैंक

राहुल बताते हैं कि हर साल जल इधर उधर चला जाता है और बर्बाद होता है, लेकिन उन्होंने इसका संरक्षण कर आने वाली पीढ़ी के लिए जल को सुरक्षित किया है। इसी बात को ध्यान में रखकर उन्होंने अब सोख पिट बनाया है। राहुल ने खुली जगह पर 6 फीट लंबा 6 फीट चौड़ा और 6 फीट गहरा एक गड्ढा खुदवाया इसे चारों ओर ईंट से जुड़वाया। इसके साथ ही इस टैंक में 6 इंच पाइप के जरिए अपने छत से जोड़ा और बारिश का पानी इस पाइप के जरिए स्टेट में जाएगा। इसके अलावा पानी क्षेत्र दार पिट की सहायता से जमीन में शोक लेगा और वहां पानी बर्बाद ना होकर जमीन में चला जाएगा।

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8 हजार की लागत से 7 दिन में बनाया टैंक

बता दें कि राहुल ने इसे बनाने में करीब 8000 रुपये खर्च किए हैं और इसे बनाने में 7 दिन का समय लगा है। उनका कहना है कि किसी के पास थोड़ी सी भी ज्यादा जगह हो तो वहां इस तरह का उपाय कर सकते हैं। जिससे आने वाली पीढ़ी के सामने जल संकट की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी। उनका कहना है कि 1994 में पानी की समस्या से काफी परेशान थे, लेकिन उसी वक्त उन्हें समझ में आया कि पानी की समस्या कोई आम नहीं है। इसके बाद उन्होंने पानी को बचाने का काम शुरू किया। इस कार्य में धीरे-धीरे अब तक ऐसी स्थिति ला दी कि 120 फीट में ही बोरिंग में पानी आसानी से मिल जाता है। इसके साथ ही राहुल ने लोगों से इस तरह का उपाय करने की अपील की है। राहुल के इस कार्य से भागलपुर के कई लोग काफी इंप्रेस हो गए हैं।