इस महिला ने 8 साल पहले छोड़ा था अपना घर, अब जंगल में कुटिया में मां बनकर कर रही बंदरों की परवरिश

इस दुनिया में कई तरह के जानवर होते हैं। यह सिर्फ इंसान के प्रेम के भूखे होते हैं। कुछ जानवरों को लोग अपने घर में पालते हैं और कुछ जंगलों में होते हैं। कुत्ते बिल्ली और बंदरों को कुछ लोग अपने घर में पालते हैं और उन्हें जो वह खाते हैं वहीं खिलाते भी हैं, लेकिन कुछ जानवर जंगलों में होते हैं जो कि उनकी एक अलग ही मानसिकता पाईजाती है। ऐसे में अगर जानवरों को प्रेम करने के साथ ही पाल कर रखा जाए तो वहां निस्वार्थ अपने मालिक की सुरक्षा करता है। प्रेम सबसे पवित्र शब्द माना जाता है, क्योंकि हर वहां काम इस शब्द से संभव है जो क्रोध से नहीं हो सकता है।

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ऐसे में आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से एक ऐसी महिला के बारे में बता रहे हैं जिसने बंदरों के लिए अपना घर छोड़ दिया और पिछले 8 साल से जंगल में उनके साथ रहने के साथ उनकी देखभाल भी कर रही है।

कुटिया में रहकर बंदरों की करती है सुरक्षा

दरअसल हम बात कर रहे हैं एक पशु प्रेमी महिला की जो कि उत्तर प्रदेश के बांदा जिले की रहने वाली है। इस महिला ने ऐसा काम किया है जो आप सोच भी नहीं सकते हैं। महिला ने अपना घर बार छोड़कर जंगल में रहने की ठानी और जानवरों के बीच अपनी एक छोटी सी कुटिया बनाई। अब यह महिला वहीं रहकर इन जानवरों की देखभाल करती है।

कुछ लोग होते हैं जो जंगल के जानवरों से डरते हैं, लेकिन यह ऐसी महिला है जो जंगल में रहकर बंदरों की देखभाल करती है। दरअसल महिला की उम्र 60 वर्ष है और कटरा इलाके की रहने वाली है ।महिला का नाम रानी उर्फ कुशमा है इनके पुण्य काम कि अब चारों और सराहना हो रही है।

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8 साल से महिला कर रही ये नेक काम

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 60 साल की रानी उर्फ कुसमा जिन्होंने कई वर्ष पहले बागे नदी के किनारे देवी स्थान के पास एक कुटिया बनाई थी। यह बुढ़िया कई समय से अपनी कुटिया में रहकर जानवरों की देखभाल करती है। उनका कहना है कि यूपी और मध्य प्रदेश के जंगलों में काफी सारे बंदर है।

अक्सर गर्मी और धूप में नदी और नेहर का पानी सूख जाता है जिससे बंदरों का जीवन संकट में पड़ सकता है। इसलिए अपने घर से दूर जंगलों में रहकर उन बंदरों की सेवा और सुरक्षा करती है। इस नेक काम में उन्हें अब तक 8 साल बीत चुके हैं।

रानी ने रखा ​बंदरों के ये नाम

रानी का पूरा परिवार कालिंजर क्षेत्र में आने वाला कटरा में रहता है। और वहां पूर्व में अपना एक बेटा खो चुकी है। तीन बेटे गांव में अपने परिवार के साथ रहते हैं और अक्सर उनके बेटे अपनी मां से मिलने आते रहते हैं। इसके साथ ही रानी ने इन बंदरों को कई तरह के नाम दिए हैं। रानी के इस नेक काम के लिए ग्रामीण भी उनकी मदद करते हैं। वहीं जंगल के पास रानी की 2 बीघा जमीन भी है ।जब भी रानी अपने खेत में जाती है तो सारी वानर सेना उनके पीछे चल जाती है। रानी ने इन बंदरों का नाम पप्पू, चुन्नू, मुन्नू, कालू व अन्य रखा है। अब रानी अपने इस नेक काम के लिए सुर्खियों में बनी हुई है।