MP में तेज रफ्तार में गाड़ी चलाने वालों की आएगी शामत, पुलिस ने चालान काटने के साथ उठा रही ये सख्त कदम
मध्य प्रदेश की सरपट सड़कों पर अभी तक वाहन चालक तेज रफ्तार में गाड़ी दौड़ा रहे थे, लेकिन अब ऐसे वाहन चालकों को सड़कों पर वाहन रफ्तार में चलाना महंगा पड़ेगा। मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने पुलिस को और भी मजबूत करने के इरादे से इंटरसेप्टर व्हीकल दिए जो अब तेज रफ्तार में वाहन उड़ाने वालों के लिए मुसीबत बनेंगे। यह गाड़ियां तेज रफ्तार में वाहन चलाने वालों को पकड़ लेगी और उनका चालान भी काटेगी।
दरअसल इस समय तेज रफ्तार वाहन सड़कों पर दौड़ते हुए नजर आते हैं और पुलिस है कि लगातार इन पर कार्यवाही करती है, लेकिन इसके बावजूद भी वाहनों की स्पीड पर लगाम नहीं लग रही है। ऐसे में अब सरकार ने पुलिस को ऐसा यंत्र दिया है जिससे अपने आप वाहनों की स्पीड में लगाम लग जाएगी। पुलिस को अत्याधुनिक तकनीकी वाला इंटरसेप्टर व्हीकल मिला है यह वाहन तेज रफ्तार दौड़ते वाहनों की रफ्तार को करीब 800 मीटर दूर से ही भांप लेता और 300 मीटर की दूरी से वाहनों की नंबर प्लेट को स्कैन कर चालान निकाल देता है।
ऐसे काम करता है इंटरसेप्टर व्हीकल
इस समय मध्य प्रदेश की पुलिस के लिए सरकार ने 30 से ज्यादा जिलों को इंटरसेप्टर वाहन दिए है। इसकी कई तरह की खासियत है यह वाहन की स्पीड को 800 मीटर की दूरी पर ही भांप लेते है और 300 मीटर की दूरी पर वाहनों की नंबर प्लेट को स्कैन कर लेते है। इसमें 54 मीटर स्पीड राडार सहित अन्य कई तकनीकी सुविधाएं उपलब्ध है। वहीं वाहन में लगी स्पीड राडार गन की रेंज में वाहन आने के बाद गति का पता चल जाता है कि यहां कितनी तेज गति में दौड़ रहा है। अगर वाहन तेज गति में दौड़ रहा है तो उसे ट्रैफिक सिग्नल पर रोक लिया जाता है और वहां तैनात पुलिसकर्मी उनके खिलाफ तेज गति में वाहन चलाने के मामले में चालानी कार्रवाई करते हैं।
मध्य प्रदेश के 2 जिलों में इस समय पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू की गई है, जिनमें राजधानी भोपाल और इंदौर शामिल है। एक तरफ पुलिस सिस्टम में बदलाव किया गया है तो वहीं अब पुलिस को भी मजबूत करने के इरादे से उन्हें तकनीकी वाहन उपलब्ध कराए गए हैं। जिससे उन्हें ट्रैफिक सुगम बनाने में बड़ी आसानी रहेगी।
पुलिस प्रणाली में हुआ ये बदलाव
वहीं अगर पुलिस कमिश्नर प्रणाली के बारे में बात करें तो इसमें बदलाव देखने को मिले है। अभी तक थाने को उसके थाना प्रभारी चलाते थे लेकिन अब इस जिम्मेदारी को कांस्टेबल को दे दी गई है। यानी कि थाना क्षेत्र का चुना गया कांस्टेबल थानेदार रहेगा। बता दें कि थानेदार किसी के अंडर में काम नहीं करेंगे, बल्कि वह सीधे अफसरों को रिपोर्ट देंगे। इनके ऊपर कानून सुरक्षा और क्षेत्र की कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी रहेगी।