मध्यप्रदेश में इस जगह अनूठी परंपरा, चैत्र नवरात्रि पर हिंदू मुस्लिम मिलकर काटते है रावण की नाक, जानिए कब हुई शुरूआत

देशभर में शादीय नवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है इसके अंतिम दिन दशहरे पर रावण दहन होता है, लेकिन इसी बीच हम आपको मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के रावण दहन की ऐसी कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे देख कर आप भी हैरान रह जाएंगे। सोमवार को चैत्र नवरात्रि का पर्व खत्म हुआ है और दशहरे के दिन रामायण का दहन नहीं बल्कि रावण की नाक काट कर दशहरा मनाया गया। वैसे तो रावण का दहन शादीय नवरात्रि के बाद दशहरे पर किया जाता है, लेकिन यहां पर चैत्र नवरात्रि के दशहरे पर रावण का दहन नहीं बल्कि नाक काटी गई। यह परंपरा वर्षों से माता सीता का हरण और नारी के सम्मान में निवाही जा रही है।

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ऐसे निभाई जाती है वर्षों पुरानी परंपरा

रतलाम जिले में रावण की नाक काटने की परंपरा वर्षो से चली आ रही है। बताया जाता है कि रावण ने माता सीता का हरण किया था। इससे एक नारी का अपमान हुआ था। इसी अपमान का बदला लेने के लिए अब यहां लोगों के द्वारा रावण की नाक काट कर उसका अपमान किया जाता है। यहां गांव के बाहर मिट्टी के रावण की प्रतिमा बनाई जाती है और हर साल उसकी नाक काटी जाती है।

इसे देखने के लिए गांव ही नहीं बल्कि दूर-दराज के लोग भी पहुंचते हैं। बताया जाता है कि राम मंदिर से चल समारोह निकाला जाता है जहां गांव के बाहर रावण की प्रतिमा तक पहुंचता है। इसमें दो युवक राम और रावण के किरदार में नजर आते हैं। इसके बाद रावण की प्रतिमा के पास रावण की सेना भी मौजूद होती है। एक तरफ रावण की सेना दूसरी तरफ राम की सेना में वाक युद्ध होता है।

इस समय कटती है रावण की नाक

वर्षों से चली आ रही है परंपरा आज भी रतलाम जिले के ग्रामीण क्षेत्र में निभाई जा रही है। दशहरे पर्व पर राम और रावण कि सेना के बीच वाक युद्ध होता है दोनों सेना एक दूसरे को युद्ध के लिए ललकारती है। वहीं सूर्य अस्त से ठीक पहले राम लक्ष्मण के हाथों बड़े तीर से रावण की प्रतिमा की नाक काटी जाती है। इसके बाद घटनास्थल पर राम के जयकारों के साथ दशहरा का पर्व संपन्न हो जाता है।

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बता दें कि इस पर्व के दौरान कौमी एकता देखने को मिलती है यहां पर हिंदू और मुस्लिम भाईचारे का संदेश देते हुए नजर आते हैं। इस बार भी आयोजन की तैयारी सभी हिंदू और मुस्लिम लोगों के द्वारा सौहार्द भाव से की गई। इसके साथ ही राम और रावण की सेना में लोग शामिल भी होते हैं और यहां परंपरा वर्षो से निभाई जा रही है।