मध्यप्रदेश के इस गांव में होली की अनूठी परंपरा, महिलाओं की होली देखने पर पुरुषों का प्रवेश है वर्जित, मिलती ये सजा

देशभर में 18 मार्च यानी शुक्रवार को रंगों का पर्व होली का त्यौहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। महामारी के बाद अब इस त्यौहार में फिर उत्साह नजर आया है। इसी बीच हर देश में होली मनाने का अलग अंदाज होता है। कई जगह तो गोबर से होली खेली जाती है। इसी बीच मध्य प्रदेश के एक ऐसे जिले के बारे में बताने जा रहे है, जहां पर होली खेलने की बहुत ही अनोखी परंपरा है। दरअसल हम बात कर रहे हैं बुंदेलखंड के हमीरपुर जिले के कुंडौरा गांव की, यहां पर पुरुष नहीं बल्कि महिलाएं होली खेलती है और होली खेलने का बहुत ही अनोखा तरीका बताया जाता है कि यहां जब महिलाएं होली खेलती है तो पुरुषों का जाना पूरी तरह से प्रतिबंधित रहता है।

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महिलाएं जब होली खेलती है उस समय पुरुष या तो घर में बंद होते हैं या फिर गांव से बाहर चले जाते हैं। दरअसल रंगों का त्योहार हर किसी को पसंद होता है और इसमें डूबे लोग एक दूसरे को कलर लगा कर बधाई देते है, लेकिन इसी बीच हम मध्य प्रदेश के ऐसे जिले के गांव के बारे में बता रहे हैं जहां होली खेलने का बहुत ही अनोखा तरीका है, बल्कि सालों से इस परंपरा को लोग निभाते आ रहे हैं। हमीरपुर जिले के कुंडौरा गांव में यह महिलाएं जब होली खेलती है तो इनके बीच एक भी पुरुष मौजूद नहीं होता है।

महिलाओं की होली देखने पर लगता है जुर्माना

बताया जाता यहां पर पुरुषों को महिलाओं की होली देखना प्रतिबंधित है। महिलाएं गांव के राम जानकी मंदिर से होली की फाग यात्रा निकालते हुए गलियों में हुड़दंग मचाती है। सालों से इस गांव की परंपरा को निभाया जा रहा है। इस दौरान महिलाओं के फोटो या वीडियो लेना भी पूरी तरह से प्रतिबंधित है। कहते हैं अगर किसी व्यक्ति ने महिलाओं की फाग खेलने की तस्वीर या वीडियो बना ली तो उस पर तगड़ा जुर्माना लगाने के साथ ही उसकी पिटाई की जाती है। महिलाओं के इस तरह की होली खेलने की यह परंपरा करीब 500 साल पुरानी है जो आज भी जीवित है।

पुरुषों के होली देखने पर प्रतिबंध

होली के मौके पर महिलाएं गांव में गाजे-बाजे के साथ फाग यात्रा निकालती है। कुंडेरा गांव की महिलाओं के साथ ही दरियापुर गांव की महिलाएं भी इस फाग उत्सव में शामिल होकर आनंद लेती है। जब महिलाओं की फाग यात्रा गांव में निकलती है तो पुरुष उसे नहीं देख सकते, क्योंकि यहां 500 साल से प्रतिबंध लगाया गया है अगर ऐसा किसी ने कर लिया तो उस पर कार्रवाई की जाती है।

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होली के पीछे का सच गांव के पूर्व प्रधान उपदेश कुमारी ने बताया की बाबुल का घर छोड़ कर पिया के घर आई तभी से इस गांव की परंपरा का हिस्सा बन गई है। उन्होंने कहा कि 2 सालों से महामारी के प्रतिबंधों के चलते होली का त्यौहार नहीं मनाया गया था, लेकिन इस बार सरकार ने सारे प्रतिबंध हटा दिए है। उन्होंने कहा कि राम जानकी मंदिर से ऐतिहासिक फाग यात्रा निकाली जाती है जो खेड़ा पति बाबा के मंदिर परिसर में समापन होता है। इसमें महिलाएं नाच गाने करते हुए गुलाल उड़ाती हुई नजर आती है।