एमपी में सब्जी का ठेला लगाने वाला युवक बना सिविल जज, संघर्ष की भट्टी से तपकर निकला है यह ‘हीरा’, नौ बार मिली थी असफलता
किसी ने क्या खूब कहा है इंसान का जज्बा ही उसे आगे चलकर एक सफल इंसान बनाता है और इस मिसाल को अब तक कई लोग साबित भी कर चुके हैं। आज हम एक ऐसे ही व्यक्ति की बात करने जा रहे हैं। जिन्होंने अपने जीवन में कई बड़ी परेशानियों का सामना किया। लेकिन कभी भी अपने लक्ष्य से नहीं भटके और ना ही कभी पीछे मुड़कर देखा 9 बार मिली असफलता के बाद भी उन्होंने कभी भी अपने सपने को देखना नहीं छोड़ा और आज उन्होंने सिविल जज बन अपने गरीब परिवार के साथ ही अपने क्षेत्र का भी नाम रोशन कर दिया है।
दरअसल हम बात करने जा रहे हैं मध्य प्रदेश के सतना जिले के अमरपाटन के रहने वाले शिवाकांत कुशवाहा की जिन्होंने एक छोटी सी जगह से आने के बावजूद भी इतना बड़ा कारनामा कर दिखाया है कि हर तरफ उनकी चर्चा चल रही है। हाल ही में जारी हुए सिविल जज के रिजल्ट में उन्होंने ओबीसी वर्ग से दूसरे स्थान प्राप्त किया है। बता दें कि 9 बार असफल होने के बाद भी उन्होंने अपने प्रयास को नहीं छोड़ा और दसवीं बार उन्होंने सफलता हासिल की उनके पिता मजदूरी करते हैं और सब्जी का ठेला लगाते हैं।
संघर्ष की भट्टी से तपकर निकला है यह ‘हीरा’
शिवाकांत खुद अपने घर को चलाने के लिए सब्जी का ठेला लगाया करते थे काफी संघर्ष से उनका जीवन अब तक का बिता है। शिवाकांत बहुत ही मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं जहां सिविल जज जैसी पढ़ाई का सपना देखना मानव सपना ही रहता है कच्चे मकान में रहते हुए उन्होंने इतनी बड़ी सफलता को हासिल किया है। शिवाकांत कुशवाहा के पिता कुंजी लाल कुशवाहा जो काफी ज्यादा बुजुर्ग होने के बावजूद भी अपने घर को चलाने के लिए मजदूरी और सब्जी का ठेला लगाते हैं।
इतना ही नहीं उनकी पत्नी ने भी अपने बच्चों का लालन-पालन करने के लिए दूसरों के घरों में काम किया है शिवाकांत की मां का निधन हो चुका है और वह घर में दूसरे बड़े बेटे हैं बता दें कि तीन भाई और एक बहन है। उनके घर की हालत इतनी ज्यादा खराब है कि उन्हें खुद अपनी पढ़ाई छोड़ कर अपने पिता का हाथ बनाना पड़ा और सब्जी बेचने को मजबूर होना पड़ा लेकिन उन्होंने अपनी पढ़ाई का त्याग नहीं किया और वे लगातार पढ़ाई करते रहे।
जिसका नतीजा यह निकला कि आज उन्होंने अपने पिता को बुढ़ापे में गौरवान्वित कर दिया है आज पूरे क्षेत्र में उनके नाम की काफी चर्चाएं हो रही है। शिवाकांत कुशवाहा ने हाई स्कूल तक की पढ़ाई सरकारी स्कूल से की है इसके बाद उन्होंने रीवा स्थित कॉलेज से एलएलबी की पढ़ाई की साथ ही वे प्रैक्टिस भी कर रहे थे और सिविल जज की तैयारी भी वह पिछले काफी समय से लगातार सिविल जज के लिए प्रयास कर रहे थे। आखिरकार उन्होंने दसवीं बार सफलता हासिल की और ओबीसी में दूसरे स्थान को प्राप्त किया है।
पिता भी करते थे मजदूरी
अपनी सफलता के बारे में खुद शिवाकांत बताते हैं कि जन्म के बाद से ही वह गरीबी वाले हालातों से गुजरे हैं उनके माता-पिता ने खूब मेहनत की और उन्हें पाला पोसा उन्होंने बताया कि घर की स्थिति इतनी ज्यादा खराब है किदिन में कमाते हैं और शाम गोश्त पैसे से राशन लाते हैं फिर चूल्हा जलता है उनके पिता काफी मेहनत करते हैं। उनकी मां ने भी उनके पिता के साथ मेहनत की शिवाकांत ने बताया कि एक बार उनके साथ घटित हुई घटना के बाद उन्होंने ठान लिया था कि उन्हें आगे पढ़ाई करना है और कुछ बनकर दिखाना है। ताकि वह गरीबी की इस जिंदगी को पीछे छोड़ सके और अपने माता-पिता के लिए कुछ कर सके।
अपनी सफलता का श्रेय वह सबसे ज्यादा अपनी मां को देते हैं आज उनकी मां इस दुनिया में मौजूद नहीं है लेकिन वह जब तक जीवित थी वही सपना देखती थी कि उनका बेटा जज बने उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने भाई बहनों को भी दिया है और अपनी पत्नी को भी बता दें कि उनकी पत्नी मधु प्राइवेट स्कूल में पढ़ाती है और उन्होंने अपने पति का सिविल जज में सिलेक्शन करवाने में काफी सहयोग किया शिवाकांत रोजाना 18 से 20 घंटे पढ़ाई किया करते थे और उनके लिखावट में जो भी गलतियां आती थी वह उनकी पत्नी उन्हें सुधारने को कहती थी। शिवाकांत ने काफी संघर्ष किया लेकिन आज उन्होंने सफलता के झंडे गाड़ दिए हैं। आज वे उन लोगों के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है जो थोड़ी सी मुसीबत सामने आने के बाद अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं।