मध्यप्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं को डबल झटका, घर में 1 यूनिट बिजली इस्तेमाल नहीं होने पर भी भरना पड़ेगा बिल

मध्यप्रदेश में महंगाई लगातार बढ़ती जा रही इसमें कहीं से भी महंगाई कम होने का जरिया नजर नहीं आ रहा है। बीते दिनों पेट्रोल डीजल के साथ ही बिजली कंपनियों ने बिजली के दाम बढ़ा दिए थे जिसकी वजह से प्रदेश के उपभोक्ता काफी परेशान हो रहे थे, लेकिन इसी बीच अब बुधवार को एक बार फिर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को बड़ा झटका दिया है। दरअसल बिजली कंपनियों के द्वारा अब इसी महीने से फिक्स चार्ज और मिनिमम एनर्जी चार्ज का बोझ भी आम जनता की जेब पर पड़ेगा। सरल शब्दों में समझें तो बिजली उपभोक्ता अगर अपने घर में एक यूनिट भी बिजली खर्च नहीं करते हैं तो भी उन्हें बिजली का बिल भरना पड़ेगा।

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दरअसल नियामक आयोग द्वारा 300 से अधिक पन्नों के टेरिफ ऑर्डर जारी किया है जिसमें उन सभी बातों का खुलासा किया गया है जो बिजली उपभोक्ताओं के लिए कहीं ना कहीं बुरी खबर होने के साथ ही उनकी जेब पर भारी पड़ेगा। बीते दिनों जहां बिजली कंपनियों ने बिजली के दाम बढ़ाकर आम उपभोक्ताओं की जेब पर भार डाला था तो वहीं अब सिर्फ चार्ज और मिनिमम एनर्जी चार्ज का भी बोझ आम जनता की जेब पर पड़ेगा।

यूनिट खर्च नहीं होने पर भी भरना पड़ेगा बिल

एक तरफ मध्यप्रदेश में बिजली के बढ़े हुए दिल से आम उपभोक्ता परेशान है। वहीं दूसरी ओर बिजली उपभोक्ताओं को बुधवार को बड़ा झटका लगा है। नियामक आयोग ने एक टेरिफ जारी किया है जिसके अनुसार प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं द्वारा बिजली खर्च नहीं करने पर भी 125 रुपये से 140 रुपये का बिल भरना पड़ेंगे जिसमें शहरी क्षेत्रों के लोगों को 69 रुपये वहीं ग्रामीण क्षेत्र की जनता को 55 रुपये चार्ज देना पड़ेगा ।इसके साथ ही न्यूनतम एनर्जी चार्ज के रूप में 70 रुपये निर्धारित किए गए हैं। वहीं आंकड़े बाजी में जाए तो शहर की जनता को कम से कम 139 रुपये और ग्रामीण बिजली उपभोक्ताओं को कम से कम 125 रुपये हर महीने बिजली का बिल भरना पड़ेगा।

नियामक आयोग द्वारा जो टैरिफ जारी किया गया है इससे साफ हो गया है कि बिजली कंपनियां ऊर्जा बचत नहीं बल्कि ऊर्जा खपत के लिए लोगों को प्रोत्साहित कर रही है। ऐसे में अब गरीब और आम उपभोक्ताओं को काफी परेशान होना पड़ेगा। अगर हर महीने की बात करें तो अब तक बिजली विभाग सिर्फ बिजली उपभोक्ताओं से फिक्स चार्ज वसूल करता था। जिसमें गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले उपभोक्ताओं से 30 रुपये यूनिट बिजली खर्च करने पर किसी भी तरह का चार्ज नहीं लेते थे, लेकिन न्यूनतम 45 रुपये निर्धारित था जबकि यहीं नियम दूसरे घरेलू उपभोक्ताओं पर भी लागू कर दिया गया यानी कि उपभोक्ताओं को न्यूनतम चार्ज के तौर पर 70 रुपये देना पड़ेंगे।

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