MP : इस किसान ने उगाया नई किस्म का आलू, नीले आलू की खासियत जानेंगे तो उड़ जायेंगे होश, मिलेंगे ये फायदे

आलू हर किसी को पसंद होता है और इसकी सब्जी हर किसी व्यंजन से अच्छी होती है, लेकिन अभी तक हमने सामान्यतः भूरे रंग के ही आलू को देखा है, लेकिन इस स्टोरी के जरिए हम आपको एक नई किस्म के आलू के बारे में बताएंगे, जहां किसान ने अपने खेत में भूरे रंग के आलू नहीं बल्कि नीले रंग का आलू पैदा किया है। यहां आलू स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद है। आइए चलिए जानते हैं आलू में और क्या खासियत है।

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स्वास्थ्य के लिए होता है लाभकारी

दरअसल सामान्यता भूरे रंग का आलू होता है और इस आलू को सभी खाना पसंद करते हैं। इसे कई दूसरी सब्जियों के साथ मिलाकर भी बनाया जाता है और कई सब्जियों का स्वाद भी बढ़ा देता है, लेकिन राजधानी भोपाल के खजूरी कला गांव में किसान ने अपने खेत में नीले रंग के आलू की पैदावार की है। किसान मिश्रीलाल राजपूत ने इसे अपने खेत में उगाया है। इस आलू का नाम नीलकंठ है जो साधारण आलू से बहुत अलग है। हालांकि दिखता सामान्य आलू जैसा ही है, लेकिन इसके कलर के साथ ही इसमें कई तरह के पोषक तत्व शामिल है जो स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी होते हैं।

इस नीले आलू में है ये खासियत

सामान्यता भूरे रंग के आलू खाने में टेस्टी होते हैं, लेकिन किसान मिश्रीलाल राजपूत ने अपने खेतों में जिस नीले रंग के आलू को उगाया है। वहां सेहत के लिए बहुत ही लाभकारी है। इस आलू में एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा अधिक पाई जाती है। यहां लोगों के सेहत के लिए काफी लाभकारी सिद्ध होता है। यह सिर्फ दिखने में सुंदर नहीं है बल्कि इसके स्वाद में भी काफी टेस्टी माना जाता है। वहीं भूरे रंग के आलू की मात्रा में यहां आलू जल्दी पक जाता है।

बता दें कि नीलकंठ आलू में कई तरह की चीजें पाई जाती है जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए बेनिफिट्स होता है। एक 100 ग्राम आलू में 100 माइक्रोग्राम एंथेसाइनइन तत्व की मात्रा पाई जाती है। वहीं 300 माइक्रोग्राम तक कैटोटिनायडस की मात्रा पाई जाती है। इन तत्वों को हिंदी में ऑक्सीडेंट कहते हैं। यह शरीर के हानिकारक तत्वों को खत्म करते हैं जिससे शरीर की पाचन क्रिया मजबूत रहती है।

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बाजार में नहीं मिलेगा ये आलू

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि किसान मिश्रीलाल ने जो आलू अपने खेत में हो गया है। वहां आपको बाजार में खरीदने को नहीं मिलेगा। उनका मकसद है कि प्रचुर मात्रा में इसके बीज एकत्रित करना और जब ज्यादा आलू हो जाएंगे तब वहां इसे बाजार में बेचेंगे ।किसान मिश्रीलाल की माने तो उन्होंने इस आलू की किस्म को शिमला के केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्था से लेकर आए थे।