कभी क्रिकेट के लिए टायर फैक्ट्री में करते थे काम, अब रणजी ट्रॉफी में मध्यप्रदेश के बने नायाब हीरों

बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में मुंबई और मध्य प्रदेश के बीच रणजी ट्रॉफी का फाइनल मुकाबला खेला गया। इस मुकाबले में मध्य प्रदेश की टीम ने 88 साल बाद रणजी ट्रॉफी जीतकर इतिहास रच दिया है। वहीं मुंबई की टीम मजबूत स्थिति में थी। 41 बार की चैंपियन रही है, लेकिन इसके बावजूद भी मध्य प्रदेश के दिग्गज खिलाड़ियों ने इस तरह कमाल दिखाया कि रणजी ट्रॉफी के खिताब पर कब्जा जमा लिया है। इस खिताबी मुकाबले में कुमार कार्तिकेय सिंह का काफी अहम योगदान रहा है। इन्होंने बल्ले और गेंद से शानदार प्रदर्शन किया है।

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23 साल बाद रणजी फाइनल में बनाई जगह

मध्य प्रदेश की टीम 23 साल बाद रणजी ट्रॉफी के फाइनल में पहुंची है। इस मुकाबले में मध्य प्रदेश की टीम ने शानदार प्रदर्शन किया है। अगर कुमार कार्तिकेय सिंह की बात करें तो उन्होंने पूरे सीजन में शानदार प्रदर्शन करते हुए अपनी टीम को मजबूत स्थिति में लेकर पहुंचे थे, लेकिन उनकी कहानी क्रिकेट करियर से बहुत ही अलग है जिसे जानकर हर कोई हैरान रह जाएंगे। कुमार कार्तिकेय ने रणजी ट्रॉफी के फाइनल में बहुत ही शानदार प्रदर्शन किया है। गेंदबाजी के साथ ही बल्लेबाजी के जोहर में मुंबई के खिलाड़ियों के पसीने छूट गए थे।

पूरे टूर्नामेंट लिए इतने विकेट

अगर कुमार कार्तिकेय की बात करें तो उन्होंने सेमीफाइनल में बेहतरीन प्रदर्शन किया था। पश्चिम बंगाल के खिलाफ पहली पारी में 3 और दूसरी पारी में 8 विकेट लिए थे। इसके बाद मध्य प्रदेश की टीम मजबूत स्थिति में पहुंच गई और सेमीफाइनल में बंगाल को करारी हार का सामना करना पड़ा। इसके पहले कुमार ने हर मैच में बेहतरीन प्रदर्शन करके सभी को प्रभावित किया है। रणजी टूर्नामेंट के 6 मैचों में 32 विकेट लिए हैं। सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाजों की लिस्ट में दूसरे नंबर पर मौजूद है। 5 बार या उससे अधिक विकेट कुमार कार्तिकेय ले चुके हैं।

एक समय किया था टायर फैक्ट्री में काम

क्रिकेट से अलग अगर उनके निजी जीवन से जुड़ी बात करें तो कुमार कार्तिकेय मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। बता दें कि उत्तर प्रदेश की अंडर 16 टीम में सिलेक्शन हुआ था ।उन्होंने क्रिकेट खेलने के बाद कार्तिकेय दिल्ली का रुख किया। लंबे समय तक लाल बहादुर शास्त्री अकैडमी में अपने क्रिकेट को निखारा। दिल्ली उन्हें महंगा पड़ता था इसलिए वहां गाजियाबाद में रहते थे और प्रैक्टिस के लिए दिल्ली जाते हैं। इसके बाद खर्चा चलाने के लिए वहां एक टायर फैक्ट्री में काम किया करते थे। इसके बाद उनकी पहचान संजय भारद्वाज से हुई उन्होंने कार्तिकेय की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें गेंदबाजी के गुर सिखाने शुरू कर दिए। दिल्ली के ट्रायल में भी सफल नहीं हुए।

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यूपी में नहीं हुआ सिलेक्शन तो लौटे एमपी

वहीं जब कुमार कार्तिकेय का उत्तर प्रदेश की टीम में सिलेक्शन नहीं हुआ तो वहां निराश होकर वापस मध्यप्रदेश लौट आए। इसके बाद उन्होंने मध्यप्रदेश क्रिकेट एकेडमी में प्रदर्शन शुरू कर दिया। उनकी लगन और काबिलियत के बाद कोच संजय भारद्वाज ने कार्तिकेय को शहडोल क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव अजय द्विवेदी के पास भेजा। डिविजन क्रिकेट के पहले 2 सालों में 50 से अधिक विकेट लिए। उस वक्त वहां लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे। मध्य प्रदेश का ट्रायल शुरू हुआ और गेंदबाजी से उन्होंने धूम मचाना शुरू कर दिया ।नवंबर 2018 में जब उन्हें रणजी में एमपी की टीम में जगह मिल गई। इसके बाद रणजी का सीजन शुरू हुआ और आज कार्तिकेय मध्य प्रदेश के हीरो बन चुके है।

आईपीएल में मचाई जमकर धूम

इसके बाद कुमार कार्तिकेय रणजी में अच्छा प्रदर्शन किया आईपीएल खेलने का मौका भी मिला। आईपीएल 2022 के मेगा ऑक्शन में उन्होंने मुंबई इंडियंस के साथ नेट गेंदबाजी के रूप में जुड़े वहां उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया। राजस्थान के लिए कार्तिकेय ने 4 ओवर में 29 रन देकर संजू सैमसंग का विकेट लिया। वहीं अब कार्तिकेय ने रणजी ट्रॉफी में धूम मचा दी है।