71 साल से बंद है मध्यप्रदेश के इस मंदिर के द्वार, कई बार आंदोलन के बाद भी नहीं मिली सफलता, अब फिर इन्होंने बुलंद की आवाज

मध्यप्रदेश के सीहोर जिले के पंडित प्रदीप मिश्रा के द्वारा रायसेन जिले में स्थित शिव मंदिर के द्वार खुलवाने की मांग अब लगातार तेज होती जा रही है। इन दिनों कई मंदिरों के ताले खुलवाने की मांग तेज हो गई है। बीते दिनों जा पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने रायसेन के शिव मंदिर का ताला खुलवाने के लिए अन्न त्याग दिया था तो वहीं विदिशा जिले के प्रसिद्ध विजय मंदिर खुलवाने की मांग भी तेज होने लगी है। शुक्रवार को माधवगंज पर व्यापार एवं उद्योग मंडल के पदाधिकारियों ने प्रदेश अध्यक्ष राजेश जैन के साथ सभी व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर बेनर लगाकर मंदिर के ताले खोले जाने की मांग की है।

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71 साल से बंद है मंदिर के ताले

दरअसल इस समय मध्यप्रदेश में रायसेन जिले के शिव मंदिर समेत विदिशा जिले के प्रसिद्ध विजय मंदिर के ताले खुलवाने की मांग तेज हो गई है। शुक्रवार को विजय मंदिर के ताले खुलवाने को लेकर माधवगंज पर व्यापारी एवं उद्योग मंडल के पदाधिकारियों बैनर लगाकर मंदिर के ताले खुलवाने की मांग की है। बता दें कि यह मंदिर इस समय एक स्मारक बन कर रह गया है। 71 वर्षों से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का ताला लटका हुआ है। इस मंदिर में लोगों के लिए दर्शन की अनुमति नहीं है। इस के ताले खुलवाने को लेकर कई बार आंदोलन भी हुए लेकिन किसी भी तरह की सफलता नहीं मिली है।

अब व्यापारियों ने की ये मांग

इस मंदिर के ताले खुलवाने को लेकर पहले भी कई बार आंदोलन हो चुके हैं, लेकिन सफलता नहीं मिली है। अब विदिशा जिले के माधवगंज पर व्यापार एवं उद्योग मंडल के पदाधिकारियों ने इस मंदिर के ताले खुलवाने की मांग तेज कर दी है। उन्होंने सभी प्रतिष्ठानों पर बैनर लगाकर मंदिर को खोलने की मांग की है। इसके साथ ही बाजार में नारेबाजी करते हुए दुकानों पर पोस्टर लगाए। व्यापारियों का कहना है कि पुरातत्व विभाग के अधिनियम मंदिर इंदौर की आस्था का प्रतीक है इस मंदिर का ताला खोल कर आम लोगों को मंदिर में जाने के साथ ही पूजा पाठ की अनुमति प्रदान की जाए।

इस नाम से जाना जाता है ये मंदिर

विदिशा जिले के माधवगंज में स्थित विजय मंदिर सूर्य मंदिर के नाम से पहचाना जाता है। इस मंदिर का 71 साल से ताला बंद है। रंग पंचमी के मौके पर बाहर ही पूजा करने की अनुमति मिलती है। इस मंदिर का ताला खुलवाने को लेकर कई बार प्रयास किए गए है, लेकिन सफलता नहीं मिली है। बता दें कि यह मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन आता है इसीलिए साल में एक बार पूजा करने की अनुमति दी जाती है।

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