ये है मध्यप्रदेश के इंदौर के ’लक्ष्य’ की कहानी, जिन्होंने कभी झेला डिप्रेशन, चलाया फूड स्टॉल, आज बन गए करोड़पति

इंसान में कुछ कर गुजरने की ख्वाहिश हो तो कुछ भी असंभव नहीं है। ऐसे में अब मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर के रहने वाले लक्ष्य सिंह अपने भाई की तरह आर्मी में जाने का सपना देख रहे थे, लेकिन उनकी किस्मत में कुछ और ही लिखा था। वहां कई साल बाद ही बेंगलुरु के एक छोटे से कमरे में डिप्रेशन में आ गए। हालांकि उन्हें शुरुआत में सफलता जरूर मिली, लेकिन उनका करियर बुरी तरह से विफल रहा है। कर्ज में पूरी तरह से डूब गए थे बैंक का कर्ज भी आने के साथ अपने दोस्त और परिवार वालों से भी काफी पैसे उधार ले रखे थे, लेकिन एक वक्त ऐसा आया उनकी किस्मत ने साथ दिया है।

google news

यूट्यूब पर वीडियों बनाकर देते है अनुभव

कहते हैं घुड़े के दिन भी फिर जाते हैं। ऐसे में लक्ष्य सिंह ने भी अपने अंदर के जुनून को जगाया और लॉस को मैनेज करने का तरीका सीखा। वहीं थोड़े ही दिन में सारे कर्ज चुका दिया ।इतना ही नहीं लक्ष्य करोड़पति भी बन गया था ।उन्होंने निफ़्टी ऑप्शन के जरिए यह सारा काम किया है। थोड़े वक्त निकालकर यूट्यूब पर वीडियो बनाते और युवाओं को अपने अनुभव के जरिए कर्ज के जाल में नहीं फंसने की सलाह देते नजर आते हैं।

इस तरह है इंदौर के लक्ष्य सिंह की कहानी

दरअसल इंदौर के लक्ष्य की कहानी काफी इमोशनल करने वाली है। एक समय ऐसा था जब उनकी किस्मत ने साथ नहीं दिया और वहां हमेशा कर्ज में डूबते चले गए, लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया जब निफ़्टी ऑप्शन को चुनने के बाद वहां करोड़पति बनने के साथ सारे कर्ज चुका दिया था। इसमें से थोड़ा वक्त निकाल कर वहां यूट्यूब पर वीडियो बनाकर युवाओं को कर्ज के जाल में फंसाने से रोकते थे।

2008 में 5 हजार रुपये के साथ शुरुआत की

लक्ष्य अपने भाई की तरह भारतीय सेना में जाने का सपना देख रहा था, लेकिन एनडीए क्वालीफाई नहीं कर पाया। इसके बाद उन्होंने एसएसबी क्वालीफाई किया और आईएएम पहुंचा है। लक्ष्य ने बताया कि परिवार ने मुझे वापस बुला लिया, क्योंकि मेरे भाई पहले से आर्मी में थे। इसलिए मैंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। जब मैं कॉलेज की पढ़ाई कर रहा था तो मेरे दोस्तों ने मुझे स्टॉक मार्केट के बारे में बताया। मैंने 2008 में 5,000 रुपये के साथ शुरुआत की।

google news

मैंने ऑप्शन्स, इंट्रा.डे ट्रेडिंग में पैसे लगाए और आईपीओ भी सब्सक्राइब किए। सत्यम क्रैश के दौरान मैंने काफी पैसे गंवा दिए। मैं इसके कुछ समय बाद मुझे एक और नौकरी मिल गई, लेकिन मेरी सैलरी का लगभग 90 फीसदी ईएमआई में जा रहा था। ऐसे में मुझे जिंदा रहने के लिए एक फूड स्टॉल चलाना पड़ा। मैंने चायए पोहा बनाए और यहां तक कि फ्री टाइम में उनकी डिलीवरी भी की है।

ट्रेडिंग करियर में इतना बड़ा बदलाव कैसे आया

लक्ष्य ने बताया कि रुपये.पैसों के प्रबंधन का महत्व समझने के बाद ऐसा हुआ। इसी बीच मैंने कुछ समय के लिए ट्रेडिंग छोड़ दी और खुद पर कंट्रोल करने फिक्स्ड टार्गेट के बाद ही मैंने दोबारा उसे शुरू किया।