इंदौर के पास अनोखी ग्राम पंचायत, यहां ना कोई मुद्दा ना कोई चर्चा, बेफिक्र ग्रामवासी बोले-सम्पन्न है गांव

इस समय मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव का बिगुल बजने के बाद जोर शोर से प्रचार चल रहा है। सभी प्रत्याशी अपने-अपने वार्डों में प्रचार प्रसार कर रहे हैं। कई ग्राम पंचायतों में देखा जाता है कि प्रत्याशी के सामने मतदाताओं के द्वारा कई तरह के मुद्दे रखे जाते हैं। कई समस्या होती है जो चुनाव में मुद्दे के रूप में सामने आती है। ऐसे में प्रत्याशी मतदाताओं से पूरा करने का वादा करते हैं, लेकिन इसी बीच हम आपको एक ऐसी ग्राम पंचायत के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर ना कोई मुद्दा है ना ही कोई चर्चा है, बिल्कुल खुशियों भरा माहौल बना हुआ है।

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इस ग्राम पंचायत में नहीं काई चुनावी मुद्दा

दरअसल हम बात कर रहे हैं इंदौर से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर शिप्रा के पास ग्राम पंचायत बुढ़िबरलाई की है। यहां पर गांव की चौपाल पर खुशी वाला माहौल नजर आता है। बुजुर्गों की टोली दोपहर के वक्त बरगद के पेड़ के नीचे छांव में बैठे बेफिक्र नजर आ रहे हैं। उनके गांव का सरपंच कौन बनेगा उन्हें किसी भी तरह की कोई फिक्र नहीं है। इस गांव में ना कोई मुद्दा है ना कोई चुनावी चर्चा यहां तो खुशनुमा माहौल बना हुआ है। मंगलवार को जब इन लोगों से इस गांव के बारे में चर्चा की गई तो ग्रामीणों ने बहुत ही अच्छा जवाब दिया है।

4 हजार वाली ग्राम पंचायत में नहीं हो रहा प्रचार

बता दें कि यह ग्राम पंचायत सांवेर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है। यहां पर रोजाना बरगद के पेड़ की छांव के नीचे बुजुर्ग लोगों की चौपाल लगती है। कई घंटे तक यहां लोग ताश और चाय की चुस्की का आनंद लेते नजर आते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यहां पर उन्हें किसी भी तरह की कोई समस्या नहीं है। इस गांव में 4000 से अधिक जनसंख्या है जहां पर 3400 मतदाता है जोकि अपने वोट का उपयोग कर इस बार सरपंच पद के लिए दावेदार को चुनेंगे। बता दें कि यहां पर एससी की सीट है इस पर 8 उम्मीदवार अपनी दावेदारी दिखा रहे हैं। गांव के माहौल की बात करें तो उम्मीदवारों के पोस्टर कहीं भी नजर नहीं आते हैं किसी भी तरह का कोई जनसंपर्क नहीं किया जाता है।

चाय की चुस्कियों के साथ तास खेलते ग्रामीण

ग्रामीणों का कहना है यहां पर किसी भी तरह की कोई समस्या और मुद्दे नहीं है। चौपाल पर बैठे 78 साल के परमानंद पटेल ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि इस गांव में अधिकांश लोग किसान है। यहां पर पानी से लेकर किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं है। वहीं 1 किलोमीटर की रोड कच्ची है जो इस चुनाव के बाद बन जाएगी ।गांव की शुरुआत के साथ बड़े बड़े पक्के मकान भी यहां पर देखने को मिल सकते हैं। इस गांव में कौन सरपंच बने इसकी किसी को भी फिक्र नहीं है और लोग आनंद से बरगद की छांव के नीचे रोजाना चौपाल लगाकर चाय की चुस्कियों के साथ ताश खेलते नजर आते हैं।

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