इंदौर की दृष्टिबाधित बालिकाओं के हौंसले की उड़ान, आंखों में रोशनी नहीं लेकिन रक्षाबंधन के लिए बनाई ये आकर्षक राखियां, देखें तस्वीरें

आगामी 11 जुलाई को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा। उससे पहले रक्षाबंधन से जुड़ी एक अच्छी खबर बता रहे है। दृष्टिबाधित बच्चीयों के हौंसलों की उड़ान के बारे में बताने जा रहे हैं। जिनमें हौंसला इतना है कि आंखों में अंधकार है, लेकिन इसके बावजूद भी जज्बा सूरत से बना हुआ है और आज उन्होंने अपने इस जज्बे के दम पर दृष्टि बाधित होने के बाद भी एक नया आयाम गढ़ दिया है। दरअसल रक्षाबंधन पर भाइयों के हाथों में बनने वाला रक्षा सूत्र दृष्टिबाधित बालिकाओं ने बनाया बनाया है। जगह-जगह स्टॉल लगाकर बालिकाओं के द्वारा राशियों की बिक्री की जा रही है। वहीं इन राखियों को बनाने में शहर के कुछ समाजसेवी भी इनकी मदद कर रहे हैं।

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बालिकाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उठाया बीड़ा

मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर की दृष्टिबाधित बालिकाओं के द्वारा अपने हाथों से बनाई गई राखियों का स्टाल विजय नगर के एक निजी होटल में लगाया गया है। यहां पर यह बालिका महेश दृष्टिहीन कल्याण संघ के आश्रम में रहकर शिक्षा ले रही है और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से समाज सेवी संस्था ने पहल शुरू की है। संस्था के डॉक्टर शामिल वारसी ने कहा कि स्कूल कॉलेज आईटी कंपनियों और अन्य स्थानों पर भी स्टाल लगाए जाएंगे। संस्था का उद्देश्य इन बालिकाओं का आत्मविश्वास बढ़ाना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का है।

हर साल 10 हजार से अधिक राखियां बनाती है बालिकाएं

वहीं इस अभियान में अनिल करमचंदानी परवेज खान तनवीर खान और संघ के शिक्षक सहयोग दे रहे हैं। बता दें कि इन दृष्टिबाधित बालिकाओं के द्वारा कई सालों से राखी बनाई जा रही है। हर साल 8 से 10 हजार राखिया बनाकर तैयार करती है। आश्रम में दोपहर तक पढ़ाई करने के बाद सोने से 2 घंटे पहले राखियां बनाने का काम करती है। एक काम में 30 से अधिक बालिकाएं लगी हुई है। 1 दिन में 50 से 60 बॉक्स बनाकर तैयार करती है। इस बार भी उन्होंने 10000 राखी बनाकर तैयार की है। इन राखियों की बिक्री से होने वाली आय आश्रम में उनकी सुविधाओं पर खर्च होती है।

बता दें कि इन राशियों का स्टॉल होटल और आईटी कंपनियों में लगाया जा रहा है। इसका उद्देश्य बालिकाओं की प्रोफेशनल और उद्योगपतियों से मुलाकात हो और उन्हें अन्य काम करने का प्रोत्साहन भी दिया जाए। ऐसे में इन बालिकाओं के द्वारा कई रंगों की राखिया बनाई जा रही है जो कि रक्षाबंधन के दिन भाइयों की कलाइयों में बांधी जाएगी।

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