इंदौर में 250 स्कूलों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई, इस तरह की खामिया पाई जानें पर की मान्यता निरस्त

मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी और देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में जिला शिक्षा विभाग की तरफ से 250 स्कूलों की मान्यता खत्म कर दी गई है। दरअसल इन्हीं स्कूलों में कई तरह की खामियां मिली थी। जिसके बाद जिला शिक्षा विभाग ने इन स्कूलों पर मान्यता रद्द करने की कार्रवाई की है। इस मामले में इंदौर जिला शिक्षा अधिकारी मंगलेश व्यास ने कहा कि इस मामले में जांच की गई जब जांच में गड़बड़ी पाई गई है तो इस तरह की कार्रवाई की गई है।

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इन 250 स्कूलों की मान्यता की रद्द

एक तरफ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शिक्षा के क्षेत्र में सुधार करने के लिए कई तरह के प्रयास कर रहे हैं। दूसरी तरफ जीने स्कूलों में खामियां पाई जाती है उनके खिलाफ लगातार कार्रवाई भी कर रहे हैं। ऐसे में इंदौर के कुछ स्कूलों में शिक्षकों की पर्याप्त मात्रा नहीं मिलने और बच्चों को किसी भी तरह की सुविधा की दृष्टि से पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने पर 250 स्कूलों की मान्यता रद्द कर दी गई है। इन स्कूलों की मान्यता रद्द होने के बाद कलेक्टर मनीष सिंह के पास पहुंचे और अपील कर रहे हैं कि इनकी मान्यता को बहाल किया जाए। इस मामले में एमपी बोर्ड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने ज्ञापन सौंपा है।

इन खामियों की वजह से की कार्रवाई

दरअसल इंदौर के 250 स्कूलों में कई तरह की खामियां पाई गई थी। इसके बाद इन पर मान्यता रद्द करने की कार्रवाई की है। इस मामले में कलेक्टर मनीष सिंह को ज्ञापन एमपी बोर्ड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने सौंपा है। इनका कहना है कि शिक्षा विभाग ने जो स्कूल मान्यता रद्द करने का आदेश निकाला है उसे रद्द किया जाए। मीडिया के समक्ष एसोसिएशन के गोपाल सोनी ने जानकारी देते हुए कहा कि अधिकांश स्कूल गुरुवार से खुल रहे हैं, लेकिन मान्यता नहीं होने की वजह से इन स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य अंधकार में चला जाएगा। इसके अलावा स्कूल में पढ़ाने वाले संचालक और स्टाफ व कर्मचारी काफी परेशान हो रहे हैं।

एसोसिएशन के गोपाल सोनी का कहना है कि शिक्षा विभाग के द्वारा जल्द से जल्द मान्यता बहाल की जाए। कक्षा पहली से आठवीं तक के 268 स्कूलों की मान्यता अटकी हुई है। आरटीआई के आवेदन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। ऐसे में इन स्कूलों का नाम नहीं होने पर स्कूलों के आसपास रहने वाले बच्चों को दूर के स्कूलों में जाना पड़ सकता है। बहरहाल अब देखना यह होगा कि कलेक्टर मनीष सिंह को दिए गए आवेदन के बाद किस तरह का फैसला लिया जाता है।

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