भोपाल की ज्योति वर्मा ने जेवर बेचकर खरीदा ई-रिक्शा और पकड़ी जिंदगी की रफ्तार, बेटे को बनाएगी आर्मी अफसर

Jyoti Verma Auto Driver : आपने देश के कई बड़े शहरों में देखा होगा कि पुरुषों की तरह महिलाएं भी आत्मनिर्भर हो रही है और ई-रिक्शा से लेकर आई बस तक सब कुछ महिलाएं चला रही है कुछ महिलाओं की इस तरह के काम करने की मजबूरी होती है। तो कुछ महिलाओं के अंदर इस तरह का काम करने का हौसला। लेकिन आज हम एक ऐसी महिला के बारे में आपको बताने जा रहे हैं जिन की कहानी आपको भावुक करने के साथ ही अंदर से काफी मजबूत भी करेगी।

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Jyoti Verma E-rikshaw driver bhopal 1

दरअसल, हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में ई रिक्शा चलाने वाली ज्योति वर्मा की जो इन दिनों लोगों के बीच में चर्चाओं का केंद्र बनी हुई है ज्योति वर्मा आज अकेले ही अपने दम पर अपने 11 साल के बेटे की परवरिश कर रही है। जिन हालातों में ज्योति को ई रिक्शा चलाना चालू करना पड़ा इसके बारे में जानकर आप भी काफी ज्यादा इमोशनल हो सकते हैं। ज्योति अपने बेटे को बड़ा होकर एक आर्मी ऑफिसर बनाना चाहती है इस वजह से वह दिन-रात अपने बेटे के लिए मेहनत करती है।

E-रिक्शा चलाते उड़ाया लोगों ने मजाक

हालांकि उन्हें कई तरह की परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। लेकिन उनके हौसले ही इतने ज्यादा बुलंद है कि बड़ी से बड़ी परेशानियां भी वहां आसानी से निपटा लेती है। आज ज्योति अपने खुद के दम पर ई रिक्शा चलाती है हालांकि उन्हें इस काम को करने के लिए किन मजबूरी और किन परेशानियों से गुजरना पड़ा इस बारे में भी उन्होंने जानकारी साझा की है आज ज्योति भोपाल के वन विहार और बड़े तालाब में पर्यटकों को सैर शेर करवाने का काम करती है।

बता दें कि इसके लिए वह दिन-रात ई-रिक्शा चलाती है। अपनी इस जर्नी के बारे में बताते हुए ज्योति ने कहा कि जब सभी रास्ते बंद होने लगे तो उन्होंने अपने जेवर को गिरवी रखा और ई-रिक्शा खरीदा जिसके बाद सेवा यहां काम करती है और अपने बेटे को बड़ा होकर एक आर्मी ऑफिसर बनाना उनका सपना है। उन्होंने बताया कि डेढ़ साल पहले उनके पति ने भी उनका साथ छोड़ दिया ऐसे में बच्चे की जिम्मेदारी उनके ऊपर आ गई।

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अच्छे लोग बढाते हैं हौसला

हालांकि उन्होंने ई-रिक्शा चलाने से पहले लोगों के घर में खाना बनाने से लेकर इटली डोसा का स्टाल तक लगाया लेकिन यहां उन्हें सफलता नहीं मिल पाई और उन्हें इतने पैसे नहीं मिल पाए जितने में वह अपने बेटे के अरमान को पूरा कर सके। ऐसे में उन्होंने ई-रिक्शा चला कर ही अपने बच्चे का लालन-पालन करने के लिए जिम्मेदारी उठाई आज ज्योति सुबह उठकर अपने बच्चे को तैयार करती है उसे स्कूल छोड़ती है। उसके बाद दिनभर ई-रिक्शा चलाती है और जो भी आमदनी होती है उससे वह अपने बच्चे का लालन पोषण करने के साथ ही खुद का भी खर्चा चलाती है।

आज ज्योति किसी पर निर्भर नहीं है व स्वयं का कार्य करती है हालांकि ई-रिक्शा चलाते समय उन्हें काफी परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है। क्योंकि लोग तरह-तरह की बातें करते हैं लेकिन वह सभी बातों को इग्नोर करते हुए अपने बेटे के भविष्य के लिए इस काम को कर रही है। ज्योति को कई बार दूसरे रिक्शा चालकों द्वारा भी काफी परेशान किया। लेकिन वहां अपने हौसले और निडर साहस के दम पर यह कार्य कर रही है। वहीं ज्योति के 11 साल के बेटे कार्तिक के हौसले भी बुलंद है बेटे ने अभी से सोच लिया है कि बड़े होकर देश की सेवा करना है। आज ज्योति की कहानी महिलाओं के लिए किसी बड़ी प्रेरणा से कम नहीं है।