मध्यप्रदेश के पढ़े-लिखे युवा हुए बेरोजगार, नौकरी नहीं मिलने से लौटे गावं खेतों में काट रहे सोयाबीन
Madhya Pradesh Youth Unemployment : मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार लगातार बेरोजगारी को कम करने के प्रयास कर रही है, लेकिन इसके बावजूद भी पढ़े लिखे युवा बेरोजगार बनकर घूम रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण धार जिले के आदिवासी इलाकों में देखने को मिला है, जहां कई युवा बेरोजगार होकर मजबूर हो गए हैं, जिन्होंने बीएससी, बीकॉम, बीए की पढ़ाई पूरी कर ली है, लेकिन उन्हें नौकरी नहीं मिली है। इसकी वजह से अब यह बेरोजगार होकर या तो खेतों में सोयाबीन काट रहे हैं या फिर अन्य मजदूरी करने को मजबूर है।
खेतो में सोयाबीन काटने को मजबूर युवा
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पढ़े लिखे युवाओं के लिए नौकरी निकालने की घोषणा की है। 1 साल में 100000 नौकरी निकाली जाएगी और उसके मुताबिक कई विभागों में नौकरी निकालना शुरू भी कर दी है, लेकिन मध्यप्रदेश में इसके बावजूद भी बेरोजगारी कम होने का नाम नहीं ले रही है। आज आलम यह है कि धार जिले के आदिवासी इलाके में बीएससी, बीकॉम, बीए की पढ़ाई कर रहे युवा खेतों में सोयाबीन काटने को मजबूर है।
गरीब लोगों को नहीं मिला योजना का लाभ
सरकार की योजना अंतिम पंक्ति के गरीब युवाओं तक नहीं पहुंच पा रही है। कई युवा रोजगार पाने के लिए आवेदन भी करते हैं, लेकिन उन्हें योजनाओं का लाभ तक नहीं मिल पा रहा है। योजनाओं के बारे में कोई जानकारी देने वाला नहीं है। सरकार को इन युवाओं पर ध्यान देने की स्थिति में सुधार करना होगा तभी युवा अपनी स्थिति को सुधार पाएंगे। उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ तक नहीं मिल पा रहा है।
300 से 500 रुपए में कर रहे फसल कटाई
इस समय जिले भर में सोयाबीन की कटाई का काम किया जा रहा है। प्रतिदिन हजारों की संख्या में अलीराजपुर, झाबुआ, धार जिले के टांडा बाग आदि आदिवासी क्षेत्रों में आसपास के क्षेत्रों के किसानों के खेतों में खड़ी सोयाबीन की फसल की कटाई के लिए मजदूर आ रहे हैं, लेकिन इन मजदूरों में देखा जा रहा है कि कई पढ़े-लिखे युवा भी शामिल है। जो अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी नहीं मिलने के बाद अब खेतों में सोयाबीन काटने को मजबूर है, जबकि यह युवा बीएससी, m.a., b.a. तक की पढ़ाई पूरी कर चुके हैं। इनके ऊपर मजबूरी इस कदर हावी हुई है कि अब रोजगार नहीं मिलने से 300 से 500 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से सोयाबीन की कटाई कर रहे हैं।