इंदौर का 82 साल पुराना हॉकी क्लब बना कचरा घर, फुटपाथ पर खेलने को मजबूर बच्चे, ये इंटरनेशनल खिलाड़ी दे रहे निशुल्क ट्रेनिंग
हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल है और यह सब को पसंद आता है। इस खेल में कई खिलाड़ियों ने अपने खेल की बदौलत देश को कई ट्रॉफी दिलाई है, लेकिन मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी देश के सबसे स्वच्छ शहर, देवी अहिल्या की नगरी और हॉकी की नर्सरी कहे जाने वाले इंदौर में हॉकी की ऐसी दुर्दशा कर दी गई है जिसे देखकर हर कोई दुखी हो जाएगा। दरअसल हर क्षेत्र में उपलब्धि हासिल करने वाले इंदौर में हॉकी की ऐसी दुर्दशा है कि इसे देखकर आपकी भी होश उड़ जाएंगे। मीररंजन नेगी जिन्हें भला कौन नहीं जानता है एक समय में हॉकी के इंटरनेशनल प्लेयर रहे थे।
इन्होंने खराब हालत में भी हॉकी के खेल को जिंदा रखा बल्कि आज अपनी प्रतिभा और ट्रेनिंग से ऐसे खिलाड़ी तैयार कर रहे हैं जो देश को कई ट्रॉफी दिलाएंगे। इन्होंने अभी तक कई युवाओं को इंटरनेशनल लेबल पर खेलने के लिए तैयार किया है वहां गरीब बच्चों को फुटपाथ पर हॉकी की ट्रेनिंग दे रहे है।
दरअसल देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर हॉकी की दुर्दशा की यह तस्वीर हर किसी हैरान कर रही है। इंदौर एक ऐसा शहर है जहां अंतरराष्ट्रीय खेल खेले जाते हैं और फिर बात अगर क्रिकेट की आ जाए तो यहां लोगों में इसका जुनून अलग ही झलकता यहां जब भी आईपीएल या वनडे मुकाबले होते हैं तो लोगों को टिकट खरीदने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। यहां क्रिकेट खेलने के लिए तो मैदान है लेकिन हॉकी के लिए एक भी मैदान नहीं बचा है।
82 के हॉकी क्लब में बना है कचरा निपटान सयंत्र
इंदौर में 82 साल पहले हॉकी क्लब बनाया गया था लेकिन आज यह हॉकी क्लब को नगर निगम ने सिर्फ कचरा निपटान संयंत्र बना दिया है।अब आलम यह है कि यहां पर बच्चों को खेलने के लिए मैदान नहीं मिल रहा है इसलिए वहां फुटपाथ पर प्रैक्टिस करते नजर आते हैं। वहीं एक समय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके मीररंजन नेगी बच्चों को हॉकी के गुर सिखा कर देश को अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी दे रहे हैं आलम यह है कि 6 साल से बच्चों को स्टेडियम नहीं मिला है।
जाने कब बना था क्लब
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में हॉकी खेल को बढ़ावा देने के लिए आजादी से पहले 1940 में प्रकाश हॉकी क्लब की स्थापना हुई थी। इस क्लब से खेल कर कई युवाओं ने अपना भविष्य बनाया है। इसके साथ ही कई खिलाड़ी यहां से अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर खेल कर अपनी पहचान बनाने के साथ ही भारत को ट्रॉफी भी दिला चुके हैं। बात अगर 1948 की करें तो यहां लंदन के ओलंपिक में आजाद भारत को पहला स्वर्ण पदक किशन लाल और देश के महान हॉकी गोलकीपर शंकर लक्ष्मण ने दिलाया था। यह इस क्लब के सदस्य भी रह चुके है। मीररंजन नेगी जिनका किरदार बॉलीवुड के अभिनेता शाहरुख खान ने 2007 में आई फिल्म चक दे इंडिया में निभाया था। वहीं इसके बाद वहां हॉकी टीम के गोलकीपर के साथ ही कुछ भी बन गए थे।
स्वच्छता की वजह से पिछड़ा हॉकी
दरअसल 2014 से देशभर में स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है लेकिन 2016 में इंदौर पर स्वच्छता का ऐसा जुनून चढ़ा की हॉकी भी पिछड़ गया जिस जगह पर हॉकी क्लब बनाया गया था उस पर नगर निगम के द्वारा कचरा स्टेशन बना दिया गया। इसके साथ ही यहां पर गंदे पानी का ट्रीटमेंट प्लांट भी लगा दिया गया इसकी वजह से जिस जगह पर बच्चे कभी खेला करते थे उस जगह के लिए अब वहां परेशान हो रहे है जबकि इस जगह से खेल कर कई खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय लेवल पर पहुंच गए है।
मीर रंजन नेगी मुंबई छोड़कर इंदौर आए थे, ताकि वहां अपनी प्रतिभा के बल पर हॉकी को जिंदा रखें और नए बच्चों को अपने अनुभव से सिखा कर उन्हें अंतरराष्ट्रीय लेवल पर खेलने के लिए तैयार करें इसके साथ ही अब बच्चे फुटपाथ पर हॉकी खेल रहे हैं जिसकी वजह से उनके घुटनों में प्रॉब्लम हो जाती है । एनआइएस कोच अशोक यादव का कहना है कि फुटपाथ पर हॉकी खेलने से महंगी हॉकी स्टिक जल्दी घीस जाती है। वही दुर्घटना का डर भी बना रहता है। इस ग्राउंड के अभाव में काफी समस्याओं से गुजारना पड़ रहा है।
नेगी गरीब बच्चों को दे रहे निशुल्क ट्रेनिंग
दरअसल नेगी जेल की दीवार से लगे फुटपाथ पर बस्तियों के गरीब बच्चों को निशुल्क ट्रेनिंग दे रहे हैं उनके पास करीब डेढ़ सौ से अधिक बच्चे ट्रेनिंग ले रहे हैं। यह बच्चे इंदौर का नाम रोशन कर रहे हैं, लेकिन इनके पास हॉकी खेलने के लिए मैदान नहीं है। वहां के खिलाड़ी भी सरकार से ग्राउंड की मांग कर रहे हैं। इस तरह के खेलने के कई तरह के वीडियो सामने आ चुके हैं, लेकिन नेता से लेकर जनप्रतिनिधि कोई भी इस पर ध्यान नहीं दे पा रहा है।