मध्यप्रदेश के इस शहर में रात का सफर पड़ता महंगा, 15 किमी तक जाने के लिए देना पड़ते 500 रुपए, ये है बड़ी वजह

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं ।यह शहर ऐसा है जिसमें रात की 11:00 बजे के बाद आपको सफर महंगा पड़ेगा। अगर उत्तर प्रदेश जाने वाली महाकाल एक्सप्रेस में भोपाल से जाते हैं तो ट्रेन का किराया तो आपको कम खर्च में पहुंचा दिया जाएगा, लेकिन आपको भोपाल रेलवे स्टेशन पहुंचने में उससे अधिक खर्चा आ जाएगा। जी हां यह सच है रात 11:00 बजे के बाद भोपाल में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की बसें बंद हो जाती है जिसके बाद किराया ऑटो रिक्शा वाले मनमानी तरीके से लेते हैं। जिसका खामियाजा बाहर से आने वाली जनता को भुगतना पड़ता है।

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रात 11 बजे के बाद देना पड़ा है अधिक किराया

दरअसल भोपाल के होशंगाबाद रोड कोलार, शाहपुर, कटारा हिल्स या गोविंदपुरा में रहने वाले लोगों को ट्रेन से अधिक किराया देना पड़ता है। बता दें कि उत्तर प्रदेश के कानपुर सेंट्रल स्टेशन से भोपाल स्टेशन की दूरी 512 किलोमीटर की है। अगर आप इस दूरी को तय करते हैं तो महाकाल एक्सप्रेस की सेकंड स्लीपर टिकट 312 रुपये होती है, जबकि कानपुर से भोपाल में उतरने के बाद आपको स्टेशन से कटारा हिल्स जो कि 14 से 15 किलोमीटर की दूरी पर है इसका सफर करने पर आपको 500 खर्च करने पड़ते हैं। यानी कि आपको भोपाल से कानपुर जाने का खर्च सिर्फ 312 रुपये है, लेकिन भोपाल के स्टेशन से अपने गंतव्य तक जाने का किराया उससे अधिक है ।यह सब सिस्टम की वजह से हो रहा है।

सिस्टम की कमी का खामियाजा भुगत रहे यात्री

दरअसल इसके पीछे की वजह यह है कि राजधानी भोपाल में रात 10:30 को लो फ्लोर बसें डिपो बंद हो जाती है। ऐसे में सुबह 8:00 बजे तक बाहर से आने जाने वाले लोगों को ऑटो रिक्शा या फिर अन्य वाहनों के भरोसे सफर करना पड़ता है। वहीं ओला उबर के कई वाहन चलते हैं जिसमें मुंह मांगा किराया लिया जाता है। इतना ही नहीं कई बार प्राइवेट कंपनियों के ड्राइवर अपने हिसाब से इसे निरस्त भी कर देते हैं ।पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम से सस्ता किराया लगाकर स्टेशन आने जाने वाली जनता राजधानी भोपाल में सिस्टम की कमी का खामियाजा भुगत रहे। यहां पर किसी भी तरह की रात में यात्रियों के लिए आने जाने की व्यवस्था तक भी नहीं है।

जानिए दूसरे शहरों में क्या है हाल

मध्य प्रदेश के अलावा अगर दूसरे राज्यों की बात करें तो यहां पर व्यवस्था पूरी तरह से है। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र के शहरों में रात भर आपको एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए सस्ते पब्लिक ट्रांसपोर्ट मिल जाएंगे। लखनऊ में ई रिक्शा व डीजल ऑटो का चलन है, लेकिन राजधानी भोपाल की बात करें तो यहां रात 10:30 के बाद ऑटो नजर आते हैं, लेकिन इसकी संख्या इतनी नहीं कि पूरे शहर को राहत मिल सके और उसके बावजूद भी लोगों से मुंह मांगा किराया वसूला जाता है।

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यह इलाका सबसे ज्यादा प्रभावित

राजधानी भोपाल के नया इलाका कटारा होशंगाबाद रोड की बात करें तो यहां अब विकसित हो रहा है। एक कैंपस में 300 से 400 परिवार रहते हैं। कालोनियों के अंदर जाने वाले रास्तों पर रात के वक्त पब्लिक ट्रांसपोर्ट के नाम पर केवल लो फ्लोर बसों का संचालन किया जाता है वहां भी चुनिंदा मार्ग पर होता है।

इस मामले में अर्बन डेवलपमेंट के जानकार राजेंद्र कोठारी ने जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि बीएचईएल निजामुद्दीन कॉलोनी अयोध्या नगर पटेल नगर एरिया शहर के इंडस्ट्री एरिया के रूप में विकसित हुआ है। लालघाटी बैरागढ़ बोरी जैसे इलाकों में इंदौर हाईवे के नजदीक होने की वजह से डेवलपमेंट हुआ है। इसके अलावा वरई कटारा हिल्स, बागसेवनिया, अरविंद विहार, रजत विहार, दानिश नगर जैसे कई इलाके होशंगाबाद हाईवे के नजदीक होने की वजह से विकसित हो रहे हैं । दरअसल पब्लिक ट्रांसपोर्ट को मजबूत करने की वजह मेट्रो जैसे माध्यम लाने के प्रयास में सरकार है, लेकिन इससे जनता को किसी भी तरह का फायदा नहीं होगा। यात्री सस्ता परिवहन करना चाहते हैं, लेकिन जिसकी जिम्मेदारी सरकार की देर रात आने जाने वालों की व्यवस्था भी की जानी चाहिए।