मध्यप्रदेश के इस शिक्षक ने लिखी नई इबादत, पूरे गांव को बना दिया स्कूल, हर तरफ हो रही तारीफ
मध्यप्रदेश के जबलपुर में शिक्षा के नवाचार की कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं। यह गांव धर्मपुर है पर यह पूरा स्कूल में तब्दील हो चुका है। इसका मकसद सिर्फ गांव के बच्चों को शिक्षित करना है प्राथमिक स्कूल में प्रदर्शित दिनेश कुमार मिश्रा ने यह बहुमूल्य तोहफा ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले बच्चों को दिया है और आज उनका यह कदम गांव के लिए बड़ा वरदान साबित हुआ है।
गली मोहल्ले में नजर आता है शिक्षा का माहौल
जबलपुर से 30 किलोमीटर दूर चरगवां बलिक में बसे धर्मपुरा गांव की कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं, जहां आप गली मोहल्ले से गुजरेंगे तो शिक्षा की अलग जगह की दीवार नजर आएगी। गांव की जिस गली से आप निकलेंगे वहां सिर्फ आपको घर की दीवारों पर ब्लैकबोर्ड नजर आएगा। वहां आपको सिर्फ शिक्षा से भरा माहौल और तस्वीरें ही दिखाई देंगे।
25 घरों की दीवारों पर बने है ब्लैकबोर्ड
शिक्षक दिनेश मिश्रा ने कहा कि महामारी के वक्त उन्होंने मोहल्ले में क्लास लगाना शुरू किया। इस समय कुछ ही बच्चे एकत्रित हुए इसमें सबसे अधिक मजदूर वर्ग के बच्चे थे जो अपने साथ मजदूरी पर निकलते वक्त बच्चों को साथ लेकर आते थे और क्लास में छोड़ कर चले जाते हैं। इसी को देखते हुए उनके मन में दीवार दान अभियान शुरू करने का विचार आया और उन्होंने इसका भी डाउट है। उनका मकसद था कि गांव में कोई भी बच्चा बिना पढ़े लिखे ना रहे गांव की हर दीवार को शिक्षाप्रद बनाने का संकल्प लिया और गांव के करीब 25 घरों की दीवारों को ब्लैक बोर्ड में तब्दील कर दिया।
शिक्षक संघ अध्यक्ष ने की भरपूर मदद
प्राथमिक स्कूल के शिक्षक दिनेश कुमार मिश्रा ने बताया उनके इस प्रयास में पालक शिक्षक संघ के अध्यक्ष संतोष राय ने भी मदद की है। दोनों ने अपनी जेब से पैसे लगाकर दीवारों में कक्षा पहली से लेकर पांचवी तक के पाठ लिखवाए। गांव की जिस गली से गुजरो वहां दीवारों पर सिर्फ चित्र दिखाई देते हैं जिसमें बच्चों में शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए अविश्वसनीय कार्य किया है।
इस पंक्ति का हुआ गहरा असर
कक्षा पांचवी की छात्रा आयुषी राय ने बताया दीवारों पर लिखे पाठ उनके लिए एक वरदान साबित हुआ है। छुट्टी के दिन या स्कूल छूटने के बाद भी इन दीवारों के सहारे अपना पाठ याद कर लेते हैं। एक सरकारी मास्टर की जिद ने आज पूरे गांव की तस्वीर बदल दी है। खबर की शुरुआत में जो पंक्तियां लिखी है। वहां दिनेश कुमार ने लिख दिया उसमें लिखी है……… यूं ही नहीं किसी की बेवजह बढ़ाई होती है। दंड इच्छाशक्ति और लगन सफलता की दवाई होती है। अजी भेजिए तो रोज बच्चों को स्कूल और घर में पढ़ने को कहिए कौन कहता है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती है।