मध्यप्रदेश में मौजूद है एक अनोखा स्कूल, जहां दोनों हाथों से लिखते हैं बच्चे, पांच भाषाओं का रखते हैं ज्ञान
Madhya Pradesh Children Write With Both Hands : शिक्षा ऐसा ज्ञान है जिसे खरीदा नहीं जा सकता आज के समय में हर इंसान के लिए शिक्षा प्राप्त करना बहुत ज्यादा जरूरी हो गया है टेक्नोलॉजी के इस दौर में बिना शिक्षा के बिना किसी भी कार्य को आसानी से नहीं किया जा सकता है। लेकिन आज लोग अच्छी शिक्षा प्राप्त करने के लिए बच्चों को ज्यादातर प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाना पसंद करते हैं। लेकिन सभी बच्चों को समान शिक्षा मिल पाना भी आसान नहीं होता हैं।
आज के समय में ज्यादातर बच्चे सरकारी स्कूल से शिक्षा प्राप्त करते हैं और आगे चलकर अच्छा नाम भी कमाते लेकिन कुछ स्कूल ऐसे भी होते हैं जो अपनी शिक्षा को लेकर काफी ज्यादा चर्चाओं में आज हम आपको एक ऐसे ही स्कूल के बारे में बताने जा रहे हैं। जहां पर पढ़ाई करवाने का तरीका इतना ज्यादा अलग है कि इस तरह की पढ़ाई आपको मुकेश अंबानी के स्कूल में देखने को नहीं मिलेगी। दरअसल, यह स्कूल है मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले के एक छोटे से गांव बुधेला में स्थित है।
आठ जुलाई 1999 को खोली थी स्कूल
यहां के बच्चे अपने दोनों हाथ से एक साथ कॉपी पर लिखने की क्षमता रखते हैं। इतना ही नहीं यहां के बच्चों को वह आज 5 भाषाओं का ज्ञान है। इस निजी स्कूल में बच्चों को शिक्षा देने का तरीका काफी ज्यादा अलग देखने को मिलता है। एक तरह से माना जाए तो 3 इडियट में जिस तरह से आमिर खान बच्चों को शिक्षा देते हुए नजर आते हैं। उस तरह से ही इस गांव में भी शिक्षा बच्चों को दी जा रही है। इस स्कूल को साल 1999 में गांव के ही रहने वाले वीरंगद शर्मा द्वारा की गई थी।
सिंगरौली जिले के एक गाँव मे पेड़ के नीचे बैठकर शिक्षा ग्रहण कर रहें है बच्चें, इनका टैलेंट देखकर आप भी हो जाएंगे हैरान pic.twitter.com/PUrptPuzgT
— DEVENDRA PANDEY (@Devendra_ABP) November 13, 2022
इस तरह के स्कूल को खोलने के पीछे उन्होंने कहानी बताते हुए कहा कि एक समय रहा सेना के प्रशिक्षण के लिए जबलपुर में मौजूद थे। ऐसे में उन्हें पुस्तक के माध्यम से पता चला कि देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ.राजेंद्र प्रसाद अपने ज्ञान के साथ अपनी दोनों हाथों से लिखने की कला को लेकर भी जाने जाते हैं। बस यही से वीरंगद शर्मा के मन में कई तरह के सवाल पैदा हो गए और एक नई जानकारी मिली जिसे जानने के बाद वे काफी उत्सुक हो गए।
नालंदा विश्वविद्यालय से मिली प्रेरणा
उन्होंने स्कूल की नींव रखने से पहले काफी जानकारियां हासिल की जिसमें उन्होंने यह भी पता लगाया कि 1 दिन में कितने शब्दों को लिखा जा सकता है। ऐसे में उन्होंने कई इतिहास को खंगाला जिसमें उन्हें जानकारी मिली की प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में छात्र औसतन प्रतिदिन 32,000 शब्द को ही लिख पाते हैं। इतनी जानकारी मिलने के बाद उनके मन में और भी काफी उत्सुकता पैदा हो गई और उन्होंने के बाद किसी स्कूल को शुरू कर दिया जो इन दिनों काफी अदा चर्चाओं का विषय बना हुआ है।
आज बच्चों को एक साथ (हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, स्पेनिश, संस्कृत) जैसी 5 भाषाओं का ज्ञान देने वाले वीरंगद शर्मा खुद भी दोनों हाथों से लिखने का प्रयास कर चुके हैं लेकिन उन्हें इसमें सफलता नहीं मिल पाई हालांकि आज उनके स्कूल के तकरीबन सभी छात्र दोनों हाथों से लिखने में सक्षम है इतने नहीं वह इन सभी भाषाओं में आसानी से लिख सकते हैं। देखा जाए तो आज स्कूल के छात्र बहुत छोटी उम्र से ही काफी बड़ा ज्ञान ले चुके हैं। एक प्रतियोगिता में पता चला कि यहां से छात्र 11 घंटे में 24000 से ज्यादा शब्द लिख सकते हैं।
बच्चों के दिमाग को किया डेवलप
दोनों हाथों से एक साथ लिखने को लेकर कहा जाता है कि इससे दिमाग की गति काफी ज्यादा तेज हो जाती है क्योंकि दोनों हाथ एक साथ चलने पर दोनों तरफ का दिमाग एक्टिव हो जाता हैं और लिखने के साथ ही पढ़ने की गति भी पड़ जाती है क्योंकि आज से स्कूल के छात्र इतना बड़ा कारनामा कर देते हैं जो कि अच्छे-अच्छे इंटरनेशनल स्कूल में बच्चे नहीं करवाते हैं। इतना ही नहीं इन बच्चों की उम्र भी ज्यादा नहीं है बहुत छोटी क्लास के यहां बच्चे काफी कुछ सीख चुके हैं।
इस बारे में मनोचिकित्सक डॉक्टर आशीष पाण्डेय द्वारा भी जानकारी दी गई है कि हमारे दोनों दिमाग एक दूसरे को आपस में कंट्रोल करने का काम करते हैं और बच्चे छोटी उम्र में एक मिट्टी का लोंदा होता है। जिसे जिस तरह ढाला जाता है वहां उसके आकार में ढल जाता है। क्योंकि छोटी उम्र में बच्चों के दिमाग का डेवलपमेंट होता है। ऐसे में यदि उसे शुरू से ही जिस तरह से हमें ढालना है। ऐसी शिक्षा दी जाए तो उसमें ढल जाता है ऐसा ही कुछ इस स्कूल में भी हो रहा है।