औंधे मुंह गिरे सरसों तेल के दाम, लगातार गिरावट होने से आमजनता ने ली राहत की सांस, जानिए ताजा भाव
इस समय रोजमर्रा की जिंदगी में काम आने वाले सामानों की बढ़ती कीमतों के बाद अब आम जनता को एक बड़ी राहत मिली है। दरअसल रोजाना खाने में उपयोग किए जाने वाले सरसों तेल के दाम में भारी गिरावट दर्ज की गई है। दरअसल इंडोनेशिया ने पाम तेल के एक्सपर्ट को बढ़ावा देने के लिए बड़ा फैसला कर लिया है। 31 अगस्त तक पाम तेल प्रोडक्ट पर से इंडोनेशियन अपनी कस्टम ड्यूटी हटा दी है। जिसके बाद दुनिया में सबसे अधिक पाम तेल निर्यात करने वाला देश बन गया है। दूसरी तरफ विदेशी बाजारों में खाने वाले तेल के दाम में भी गिरावट देखने को मिल रही है। ऐसे में सरसों का तेल जो कि एक समय सातवें आसमान पर पहुंच गया था, लेकिन अब लगातार गिरावट देखने को मिल रही है।
सरसों तेल में इतने रुपये की गिरावट
दरअसल अगर इस समय बात हम करें तो बाजार की तो सरसों पक्की घनी और कच्ची घानी तेल की कीमतें 35 रुपये घटकर 2280 से 2360 रुपये और 2320 से 2425 रुपये प्रति 15 किलो पर पहुंच गई है। हालांकि अभी यकीन तो सिर्फ थोक बाजार में ही लागू हो गई है। खुदरा बाजार में इसका असर अभी तक देखने को नहीं मिला है। मीडिया रिपोर्ट की माने तो खुदरा बाजार में सरसों तेल की कीमत सस्ती होने में कुछ समय भी लग सकता है, लेकिन जल्दी ही सरसों तेल की कीमतों में 100 रुपये प्रति किलो की गिरावट देखने को मिलेगी।
इन प्रोडक्ट पर बढ़ाया दिया जीएसटी
एक तरफ केंद्र की मोदी सरकार के द्वारा जीएसटी में बढ़ोतरी करने की वजह से रोजमर्रा की जिंदगी में काम आने वाले प्रोडक्ट के दाम बढ़ गए हैं। ऐसे में सरसों तेल की कीमत में आई गिरावट से आम जनता को महंगाई से बड़ी राहत मिली है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जिन सामानों पर 12% तक जीएसटी लगाया जा रहा था। उसे अब 18% कर दिया गया है ।वहीं चीन सामानों पर 8% या 5% जीएसटी लगता था उसे बढ़ाकर 12% या फिर 18% कर दिया गया है ।जीएसटी की मार झेल रहे आम जनता को अब रोजाना काम आने वाले सामान खरीदने के लिए जेब ढीली करना पड़ेगी।
जानकारों ने बताया कि सरसों तेलों की कीमत में गिरावट आने का सबसे अधिक खामियाजा आयातकों को भुगतना पड़ रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने जिस भाव पर तोते खरीदे थे ।अब उन्हें कम भाव में तेल को बेचना पड़ रहा है। लगातार सरसों तेल की कीमत गिरती जा रही है। ऐसे में आम जनता को राहत जरूर मिली लेकिन व्यापारियों को इससे अधिक नुकसान झेलना पड़ रहा है