मध्यप्रदेश में मंडराने लगी पेट्रोल-डीजल की किल्लत!, वाहन चालक जल्दी करें स्टॉक, एसोसिएशन ने पत्र में कहीं ये बात

अगर आप भी पेट्रोल डीजल का स्टॉक करना चाह रहे हैं तो जल्दी कर ले। कहीं आपको इसकी समस्या से जूझना ना पड़ जाए। दरअसल मध्यप्रदेश में कोयला संकट के बाद जल्दी ही पेट्रोल डीजल की किल्लत से जूझना पड़ सकता है। मध्यप्रदेश पेट्रोल पंप डीलर एसोसिएशन ने सोमवार को राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने पेट्रोल डीजल की आपूर्ति बढ़ाने की मांग की है। दरअसल उनका कहना है कि मध्यप्रदेश में पेट्रोल डीजल की किल्लत होती नजर आ रही है। इसके लिए सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों द्वारा पर्याप्त मात्रा में तेल की आपूर्ति नहीं की जा रही है इसे बढ़ाया जाए।

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तेल कंपनियों पर लगाए ये आरोप

दरअसल पेट्रोल पंप डीलर एसोसिएशन ने राज्य के मुख्य सचिव को लिखे एक पत्र में जानकारी देते हुए कहा कि जल्दी ही मध्य प्रदेश में धान और सोयाबीन की बोनी शुरू होने वाली है ।ऐसे में डीजल की खपत तीन से चार गुना होगी। इसकी वजह से जल्दी ही पेट्रोल डीजल की सप्लाई बाधित ना हो इसलिए इसकी आपूर्ति को बढ़ाया जाए। इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों के द्वारा पर्याप्त मात्रा में तेल की सप्लाई नहीं की जा रही है। जिसकी वजह से प्रदेश में पेट्रोल डीजल की भारी किल्लत होना शुरू हो गई है।

इस वजह से मंडराने लगे है चिंता के बादल

उनका कहना है कि अगर पेट्रोल डीजल की आपूर्ति जल्दी नहीं बढ़ाई गई और हालत में सुधार नहीं किए गए तो पेट्रोल डीजल की किल्लत हो जाएगी। पंचायत और नगरी निकाय चुनाव के चलते मध्यप्रदेश में आदर्श आचार संहिता भी लगी हुई है। चुनाव प्रक्रिया को संपन्न कराने के लिए सभी जिला प्रशासन ने पेट्रोल पंप संचालकों को एक निर्धारित मात्रा में पेट्रोल डीजल का स्टाक रखने के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन इसके चलते अब पेट्रोल पंप डीलर एसोसिएशन पर चिंता के बादल मंडराने लगे हैं।

तेल कंपनियों ने दिया नुकसान का हवाला

दरअसल पेट्रोल पंप डीलर एसोसिएशन ने आरोप लगाते हुए कहा कि क्षेत्रीय तेल कंपनियां पेट्रोल डीजल की सप्लाई नहीं कर रही है। जिससे कि प्रदेश में पेट्रोल डीजल का संकट मंडराने लगा है। तेल कंपनियों का कहना है कि भारी नुकसान की वजह से तेल सप्लाई नहीं की जा रही है। वहीं पेट्रोल पंप डीलर एसोसिएशन ने मुख्य सचिव से इस मामले में कार्रवाई की मांग की है। अब देखना यह होगा कि इस मामले में मुख्य सचिव के द्वारा किस तरह का फैसला लिया जाता है।

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