ओबीसी आरक्षण के सर्वे में बड़ी धांधली, ​मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखा ये पत्र

मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण को लेकर खत्म हुए पंचायत चुनाव के बाद भी सियासत जारी है। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा ओबीसी आरक्षण को लेकर सर्वे का आदेश दिया गया है, लेकिन इसमें भी अब लापरवाही के आरोप लगाए जा रहे है।

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बता दे कि सुप्रीम कोर्ट से मिले आदेश के बाद सभी जिलों में ओबीसी आरक्षण को लेकर सर्वे कराया जा रहा है ​लेकिन मध्यप्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर में इसमें लापरवाही के आरोप लगाया जा रहा है। इस सर्वे को लेकर ओबीसी महापंचायत ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने अधिकारियों के द्वारा घर बैठकर ओबीसी वर्ग के सर्वे कर आंकड़े एकत्रित करने के गंभीर आरोप लगाए है।

गौरतलब है कि हाल में कांग्रेस की याचिका के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण को खत्म कर दिया था। इसी बीच प्रदेशभर में ओबीसी आरक्षण को लेकर धरने प्रदर्शन किए गए थे, इतना ही नहीं​ बीजेपी के द्वारा भी काफी विरोध किया गया था। इसके साथ मुख्यमंत्री शिवराज की कैबिनेट बैठक​ में निर्णय लेने के पंचायत चुनाव निरस्त हो गए थे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सभी जिलों के कलेक्टर को ओबीसी आरक्षण के लिए सर्वे कराने के ​आदेश दिए है।

ओबीसी वर्ग के आंकड़े जुटाने के गंभीर आरोप

इसी को लेकर त्रिपल टेस्ट के बाद ही ओबीसी वर्ग को पंचायत और निकाय चुनावों में आरक्षण देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रदेश भर में पिछड़ा वर्ग की आबादी का आंकलन चल रहा है। ​जिसमें ओबीसी वर्ग महापंचायत ने सर्वे कर रहे अधिकारियों पर घर बैठे ओबीसी वर्ग के आंकड़े जुटाने के गंभीर आरोप लगाए है। ओबीसी वर्ग महापंचायत के द्वारा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को इसके लिए पत्र लिखा गया है और इस मामले की जांच करने की अपील की है।

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बताया जा रहा है कि ओबीसी वर्ग महापंचायत से करीब 18 संगठन जुड़े है जो ओबीसी वर्ग की गणना में जुटे है। जिसमें बताया गया कि अभी तक सतना जिले में 62 प्रतिशत ओबीसी वर्ग की आबादी है, लेकिन इसमें सर्वे कर अधिकारी 40 प्रतिशत बता रहे है।

बहरहाल ओबीसी एडवोकेट्स वैलफेयर एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को आवेदन लिखकर अधिकारियों पर लापरवाही के आरोप लगाया है। इतना ही इन्होंने ​अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है।