टैक्सी ड्राइवर की बेटी चाचा को देखकर बनी पहलवान, सिखाए गए गुर से अंडर-15 एशियन चैंपियनशिप में जीता गोल्ड

आजकल की बेटियां बेटों से कम नहीं है। हर क्षेत्र में बेटियां एक के बाद एक कीर्तिमान रचती जा रही है। ऐसे में हम आपको हरियाणा के बारे में बताए तो यहां पर एक से बढ़कर एक पहलवान जन्मे है जो कि नेशनल स्तर पर कीर्तिमान हासिल कर रहे हैं। इसी बीच अब हम आपको एक ऐसी बेटी के बारे में बताने जा रहे हैं जो कि हरियाणा की धरती पर जन्मी है। आजकल की बेटियां जहां घर में चूल्हा चौका के साथ सरकारी और प्राइवेट सेक्टर भी संभाल रही है तो कुछ बेटियां खेल में भी प्रदर्शन दिखा रही है। इनमें उदाहरण बताएं तो सानिया मिर्जा, पीवी सिंधु, हेमा दास जैसी कई बेटियां है जिन्होंने अपनी मेहनत के बल पर अपने माता पिता के साथ ही देश का गौरव बढ़ाया है।

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इस बेटी ने जीता गोल्ड मेडल

हरियाणा के सोनीपत जिले के सेक्टर 23 में रहने वाली काजल ने अंडर 15 एशियन चैंपियनशिप गोल्ड मेडल जीतकर अपने माता-पिता का नाम रोशन किया है। काजल के द्वारा इस उपलब्धि को हासिल करने के बाद उनके परिवार ने काफी खुशी नजर आ रही है ।वहीं जब काजल अपने घर पहुंची तो उनके परिवार के लोगों ने उनका अनोखे अंदाज में स्वागत किया है। दरअसल काजल ने इस उपलब्धि को हासिल कर उन बेटियों को दिखा दिया है कि अगर जीवन में कुछ हासिल करना है तो मेहनत करना बहुत जरूरी है।

पिता पेशे से है टैक्सी ड्राइवर

बता दें कि काजल के पिता पेशे से टैक्सी ड्राइवर हैं और काजल ने उनके चाचा से प्रेरित होकर पहलवान बनी है। काजल के चाचा एक कोच है। जानकारी मिली है कि काजल को सरकार से अभी तक किसी भी प्रकार की सहायता नहीं मिली है। उनके घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने की वजह से उसके चाचा दंगल को आयोजित करते हैं और उसी से पैसे कमाते हैं। वहीं भतीजी को पहलवानी सिखाने में पैसे भी खर्च करते हैं।

9 साल की उम्र से सीख रही पहलवानी

काजल ने 9 साल की उम्र से पहलवानी करना शुरू किया था। जिस उम्र में बच्चा खेलना कूदना सीखता है। उसी उम्र में पहलवान बनने का सपना काजल संजोए बैठी थी और आज अपने चाचा के द्वारा सिखाए गए पहलवानी के गुर से अपने माता-पिता का नाम रोशन किया है। बताया जाता है कि उनके चाचा जब स्टेडियम में जाते थे तो वहां उनके साथ जाने की जिद करती थी ।ऐसे में चाचा के उत्साह को देखकर उसने भी पहलवान बनने का मन बनाया।

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4 से 5 घंटे काजल करती है पैक्टिस

इंटरव्यू के दौरान काजल के चाचा कृष्ण ने बताया वहां स्वयं एक पहलवान रह चुके हैं, परंतु आज अपनी भतीजी को पहलवानी करते देख उनका मन उत्साह से भर गया है। बता दें कि काजल 12 महीने सुबह और शाम अपनी प्रैक्टिस के लिए 4 से 5 घंटे देती है और कई प्रतियोगिता आयोजित की जाती है तो अपनी मेहनत और ज्यादा बढ़ा देती है।