‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म की कहानी सच, लेकिन अधूरा सच, इस कश्मीरी पंडित से जानिए पूरा सच

कश्मीरी पंडितों के पलायन पर बनी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ इन दिनों चर्चा में 90 के दशक में कश्मीरी पंडितों के साथ जो हुआ उसका एक चश्मदीद गवाह अब सामने आया है। उसने इस फिल्म के बारे में जानकारी देते हुए कहा इस फिल्म में जो दिखाया गया है वह सच है, लेकिन अधूरा सच है। दरअसल छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के भिलाई में रहने वाले संतोष किचलू फिल्म को लेकर मीडिया से जानकारी दी है। इस दौरान उनका दर्द झलक पड़ा। उन्होंने भाविक होते हुए फिल्म कश्मीर फाइल के बारे में जानकारी देते हुए कहा यह फिल्म कश्मीरी पंडितों के पलायन पर बनी है इसमें जो दिखाया गया है वहां सच है।

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कश्मीरी पंडितों पर बनी फिल्म

मीडिया को जानकारी देते हुए संतोष किचलू ने कहा कि कश्मीरी पंडितों पर बनी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ इन दिनों काफी चर्चा में ऐसा पहली बार हुआ है कि जब देश में कश्मीरी पंडितों पर पहली बार फिल्म बनी है। कश्मीरी हिंदुओं के पलायन और उनके साथ हुई घटना को इसमें कहानी के रूप में दिखाया गया है और वाकई ऐसा उनके साथ हुआ था। संतोष का कहना है कि उनका जन्म कश्मीर के सुफियान भटपुरा में 1964 में हुआ था।

उन्होंने कहा कि कश्मीर में सभी हिंदू और मुसलमान भाईचारे से रहते थे, लेकिन धीरे-धीरे कश्मीर की घाटियों में आतंकवाद बढ़ गया और इसके बाद उन आतंकवादियों ने हिंदू और मुस्लिम लोगों को भड़काना शुरू कर दिया जिसके बाद कश्मीर में विवाद की स्थिति उत्पन्न होने लगी और इसके बाद कश्मीरी पंडितों का पलायन शुरू हो गया था। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सुफियान भटपुरा में 12 हिंदुओं को आतंकवादियों ने गोली चला दी इसके बाद कश्मीरी पंडितों और मुस्लिमों के बीच विवाद होने लगा।

वहीं किचलू ने आगे जानकारी देते हुए कहा कि उन्होंने जम्मू में शरणार्थी कैंपों में शरण ली इसके बाद बेंगलुरु दिल्ली आदि शहरों में शिफ्ट हो गए और वहां पहले जम्मू में रहते थे, लेकिन खुद दुर्ग के भिलाई में आकर बस गए थे। उनका कहना है कि इस फिल्म में जो दिखाया गया है वहां सच है, लेकिन अधूरा है। असलियत तो बहुत ही भयानक थी जिसमें कश्मीरी हिंदुओं के मंदिरों को तोड़ दिया गया था और उन्हें वहां से भगा दिया गया था। यह घटना इतनी दर्द भरी है कि वहां इसे बयां भी नहीं कहीं नहीं कर पाए।

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